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Sant Tukaram (संत तुकाराम)
Sant Tukaram का जन्म वर्तमान भारतीय राज्य महाराष्ट्र में हुया था। इनका पूरा नाम तुकाराम बोल्होबा अम्बिले था। उन्हें तुकोबा भी कहा जाता है। जो भारत में लम्बे समय तक चले भक्ति आन्दोलन के एक प्रमुख स्तम्भ थे।
- Sant Tukaram (संत तुकाराम) 17वी शताब्दी के प्रसिद्ध कवि और संत थें। उनके गुरू भक्ति आन्दोलन के संत चैतन्य महाप्रभु थे।
- ये मराठा शासक शिवाजी महाराज, एकनाथ और रामदास जैसे संतों के समकालीन थे। वे वारकरी सम्प्रदाय के संत थे, जो महाराष्ट्र में भगवान विठोबा की पूजा करते हैं।
- Sant Tukaram को उनके भक्ति कविता अभंग और कीर्तन के रूप में जाने वाले आध्यात्मिक गीतों के साथ समुदाय-उन्मुख पूजा के लिए जाना जाता है। उन्होंने विट्ठल (विष्णु) भक्ति की परम्परा का जतन करके नामदेव भक्ति की अभंग रचना की।
- उनको बारी तीर्थयात्रा शुरू करने का श्रेय भी दिया जाता है।
- जातिविहिन समाज के बारे में इनके संदेशों ने सामाजिक आन्दोलन को जन्म दिया। वह समतावादी, व्यक्तिगत वारकरी भक्तिवादी परम्परा का हिस्सा थे।
- इन्होंने अपना पूरा जीवन देहू में बिताया और देहू के पास एक गुफा में अन्तिम सांस ली।
Sant Tukaram शिला मन्दिर
इस शिला मन्दिर को Sant Tukaram के निधन के बाद बनाया गया था, लेकिन औपचारिक रूप से इसे मन्दिर के रूप में संरचित नहीं किया गया था। बाद में हालांकि इसे 36 चोटियों के साथ पत्थर की चिनाई में बनाया गया तथा इसमें इनकी मूर्ति रखी गई।
- एक चट्टान या शिला पर यह शिला मन्दिर निर्मित किया गया है, जो वर्तमान में देहू संस्थान मन्दिर परिसर में है, तथा सदियों से पंढरपुर की वार्षिक तीर्थयात्रा वारी का प्रारम्भिक बिन्दु रहा है।
- Sant Tukaram लगातार 13 दिनों तक इस चट्टान पर बैठे थें। इस कारण यह क्षेत्र पवित्र और वारकरी सम्प्रदाय का तीर्थ स्थान बन गया। इनके भक्त वारकरी, पंढरपुर की तीर्थयात्रा शुरू करने से पूर्व इस शिलामन्दिर में पूजा-अर्जना करते हैं।
वारकरी सम्प्रदाय
- हिन्दू धर्म की भक्ति आध्यात्मिक परम्परा के भीतर एक वारकरी धार्मिक सम्प्रदाय है। भौगोलिक रूप से यह धार्मिक सम्प्रदाय भारतीय राज्यों महराष्ट्र और उत्तरी कर्नाटक से जुड़ा है।
- महाराष्ट्र की मराठी भाषा में, वरी का अर्थ है तीर्थयात्रा और एक तीर्थयात्री को वारकरी कहा जाता है।
- प्रतिवर्ष वारकरी सम्प्रदाय के लोग पवित्र शहर पंढरपुर में हिन्दू कैलेन्डर के आषाढ़ महीने की एकादशी को भक्त एकत्रित होते हैं। वारकरी पंढरपुर के पीठासीन देवता विठोबा (विट्ठल) की पूजा करते हैं।
- ज्ञानेश्वर, नामदेव, Sant Tukaram, चोखामेला का नाम वारकरी आन्दोलन की स्थापना में विशेष उल्लेखनीय है।
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