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Jhumelo Dance
Jhumelo Dance बसन्त पंचमी से आरम्भ होकर विषुवत संक्रांति तक चलने वाला नृत्य है। बसन्त ऋतु के लौटते ही गढ़वाल की धरती प्रकृति नैसृर्गिक सौन्दर्य से खिल उठती है। झुमैलो, झूम-झूमकर नृत्य करने की विशिष्ट शैली है, जिसमें प्रत्येक पद दो बार दोहराया जाता है। जब नव विवाहिता मायके से ससुराल में आती है तो ऐसे सुखद वातारण में प्रकृति की तरह उल्लसित हो उठती है और अपनी बचपन की सहेलियों के साथ अपने बचपन की यादों को याद करके अपनी सहलियों के साथ Jhumelo Dance करती है।
इस नृत्य में किशोरियों द्वारा गोल परिधि में बॉहों में बॉहे डालकर दो कदम आगे, थोड़ा कमर झुकाकर फिर दो कदम पीछे कमर सीधी कर, गोलाई में मन्द-मन्द गति से पग संचालन किया जाता है। पैरों की पायल की मधुर ध्वनि मिश्रित यह नृत्य मायके की प्रति अगाध स्नेह का परिचायक है।
सन्दर्भः-
1. उत्तराखण्उ का समग्र ज्ञानकोश-डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद बलोदी
2. यूकेपीडिया-उत्तराखण्ड का सम्पूर्ण ज्ञानकोश-भगवान सिंह धामी
3. विनसर उत्तराखण्ड ईयर बुक
Uttrakhandi Folk Dance 2020 | Jhumelo Dance 2020|