Chenna Keshava Temple

Chenna Keshava Temple (चेन्नाकेशव मन्दिर)

  • Chenna Keshava Temple जिसे बेलूर के विजयनारायण मन्दिर के रूप में भी जाना जाता है, कर्नाटक में 12वीं शताब्दी का मन्दिर है तथा यह सबसे बड़े व सर्वाधिक प्रसिद्ध होयसल मन्दिरों में से एक है।
  • Chenna Keshava Temple का निर्माण कार्य प्रसिद्ध होयसल नरेश राजा विष्णुवर्धन द्वारा बेलूर में यागाची नदी के तट पर 1117 ई0 में शुरू किया गया था तथा 103 सालों में इसका निर्माण कार्य पूरा हुआ था।
  • चेन्नाकेशव मन्दिर का निर्माण कार्य प्रसिसद्ध होयसल नरेश राजा विष्णुवर्धन द्वारा तलक्कड़ की महान लड़ाई में चोलों पर एक बड़ी सैन्य जीत के बाद बेलूर में यागाची नदी के तट पर 1117 ई0 में शुरू किया गया था तथा 103 सालों में इसका निर्माण कार्य पूरा हुआ था।
  • तारे के आकार का यह मन्दिर, जो अपनी असाधारण मूर्तिकला के लिए जाना जाता है, अपने प्रतिष्ठान के बाद से ही एक सक्रिय हिन्दू मन्दिर रहा है। चेन्नाकेशव या सुन्दर केशव भगवान विष्णु के रूपों में से एक हैं।
  • यह मन्दिर मध्यकालीन हिन्दू ग्रन्थों में श्रद्धापूर्वक वर्णित है और वैष्णववाद में यह एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल बना हुआ है।
  • यद्यपि यह एक वैष्णव मन्दिर है, परन्तु शैववाद और शक्तिवाद के विषयों के साथ-साथ जैन धर्म और बौद्ध धर्म के विषय भी शामिल हैं।
  • चेन्नाकेशव मन्दिर 12 शताब्दी के दक्षिण भारत और होयसल युग में कलात्मक, सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टिकोण का प्रमाण है, जो सभी विश्वासों के प्रति सहिष्णु था।

Chenna Keshava Temple की स्थापत्य

  • मन्दिर के प्रांगण में एक चारदीवारी के अन्दर कई मन्दिर तथा छोटे मन्दिर स्थित हैं। इस मन्दिर का प्रवेश द्वार पूर्व की ओर से सात मंजिला गोपुरम के माध्यम से है।
  • मुख्य मन्दिर में एक शिखर था, लेकिन अब यह गायब है और मन्दिर ऊपर से सपाट दिखता है।
  • यह शिखर या विमान ईंट और गारे से बना था तथा इसे सोने के ताम्रपत्रों से मढ़वाई गई लकड़ी की कारीगरी से सुसज्जित किया गया था।
  • क्षतिग्रस्त आन्तरिक गर्भगृह को बचाने के लिए इसे 19वीं शताब्दी के प्रारम्भ में तोड़ना पड़ा था।
  • मन्दिर के अन्दर में देवी सरस्वती का उत्कृष्ट मूर्ति बनी है। देवी नृत्यमुद्रा में है जो विद्या देवी की अधिष्ठात्री के लिए सर्वथा नई बात है। इस मूर्ति की विशिष्ट कला इसकी गुरुत्वाकर्षण रेखा की अनोखी रचना है। मूर्ति में यदि पानी सिर पर डाला जाए तो वह नासिका से नीचे होकर वाम पार्श्व से होता हुआ खुली वाम हथेली में आकर गिरता है और वहाँ से दाहिने पाँव मे नृत्य मुद्रा में स्थित तलवे, जो गुरुत्वाकर्षण रेखा का आधार है, में होता हुआ बाएँ पाँव पर गिर जाता है। वास्तव में होयसल के मूर्ति कलाकारों ने इस कला कृति के निर्माण में मूर्तिकारी की कला को अपनी चरम अवस्था में पहुचाया। 1433 ई में ईरान के यात्री अब्दुल रज़ाक ने इस मन्दिर के बारे में लिखा था कि वह इसके शिल्प के वर्णन करते हुए डरता था कि कहीं उसके प्रशंसात्मक कथन को लोग अतिशयोक्ति न समझ लें।

कुरान की आयतें को पढ़ने की परम्परा

परम्परा के मुताबिक, Chenna Keshava Temple में रथोत्सव की शुरूआत से पहले एक मौलवी मन्दिर परिसर में आते हैं और कुरान की कुछ आयतें पढ़ते हैं। मन्दिर प्रशासन के अनुसार, यह स्पष्ट रूप् से ज्ञात नहीं है कि मन्दिर में आयोजित होने वाले रथोत्सव में कुरान की आयतों को पढ़ने की परम्परा कब शुरू हुई। हालांकि मन्दिर नियमावली, जो 1932 की है, में इस परम्परा के बारे में उल्लेख है, जिसका आज तक पालन किया जा रहा।

Chenna Keshava Temple चर्चा में क्यों ?

दक्षिणपंथी  कार्यकर्ताओं के विरोध के बावजूद कर्नाटक के हासन जिले में स्थित बेलूर के ऐतिहासिक Chenna Keshava Temple ने वर्षों से चली आ रही परम्परा को बनाये रखते हुये कुरान की आयतें पढ़ने के साथ रथोत्सव की शुरूआत की गयी। यह वार्षिंक रथोत्सव समारोह 13 अप्रैल, 2022 को जिला पुलिस की कड़ी निगरानी में शुरू हुआ। इस दो दिवसीय उत्सव को देखने के लिए राज्य भर से सैकड़ों लोग चेन्नाकेशव मन्दिर पहुंचे।

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