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Marthanda Varma
प्रख्यात लेखक, पत्रकार और राजनीतिज्ञ C. V. Raman Pillai की रचना Marthanda Varma न केवल मलयालम साहित्य के आरम्भिक उपन्यासों में से है, बल्कि इसे भारत का पहला राजनीतिक उपन्यास भी कहा जा सकता है। राजा Marthanda Varma ने सिंहासन पर बैठने के पश्चात एक महत्वपूर्ण व्यापारिक राज्य तिरूवितांकुर बसाया, जिसे वर्तमान में अब त्रावणकोर के रूप में जाना जाता है। यह राज्य अंग्रेज और डच कम्पनियों के साथ व्यापारिक गतिविधियों से भारत के शुरूआती आधुनिक राज्यों में से एक बन गया, जिसने व्यापारिक प्रतिस्पर्धा ने संघर्षों को जन्म दिया।
Marthanda Varma ने सन 1741 ई0 में कोलाचल के निर्णायक युद्ध में डच उपनिवेशवादियों के विस्तारवादी सपनों को कुचलकर रख दिया। भारतीय इतिहास में शायद यह एकमात्र युद्ध, जिसमें किसी भारतीय शासक ने पश्चिमी सैन्य शक्ति पर विजय प्राप्त की थी। इस उपन्यास में Marthanda Varma एक युवा, संघर्षरत राजकुमार के रूप में हैं, जिसे त्रावणकोर सिंहासन का उत्तराधिकार बचाने हेतु, राजदरबार में फैले षड्यंत्रों और पारिवारिक प्रतिशोधों के जाल से बचते हुए न केवल मित्र की हत्या के आरोप से अपनी निर्दोषता सिद्ध करनी पड़ती है, बल्कि विदेश साम्राज्यवाद के विरूद्ध एक सशक्त शासक के रूप में उभरना भी होता है।
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असल में, उपन्यास का छोटा हिस्सा ही इस राजनीतिक साजिश से जुड़ा है। अधिकांश भाग अनंतपद्यानाभन और पारूकुट्टी के बीच रोमांटिक रिश्ते पर केन्द्रित है। पारूकुट्टी, जो इस उपन्यास की सोलह वर्षीया प्रमुख नायिका है। इस उपन्यास की एक और महिला पात्र सुभद्रा, महाराज की रक्षा के लिए प्राण जोखिम में डालती है। सुभद्रा न केवल Marthanda Varma के खिलाफ षड्यंत्रों की जानकारी एकत्र करती है, बल्कि नायिका को उसके प्रेमी से पुनर्मिलन में मद करके केन्द्रिय पात्र बन जाती है।
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उत्साही चन्नन, निष्ठावान मानकोयिक्कल कुरूप के अतिरिक्त मुसलमान व्यापारिक समूह की भूमिका रोचक है, जो सामन्ती शासकों के षड्यन्त्रों के खिलाफ राजकुमार के साथ देते हैं। इस उपन्यास में हर घटना के बाद एक नई घटना उभरती है, जिससे कथानक में धीरे-धीरे रहस्योद्घाटन होता है और अन्त तक उत्सुकता बरकरार रहती है। वेणाड की राजनीति, किंवदंतियां, सघंर्ष और वास्तविक जीवन पर आधारित पात्र एवं घटनाएं एक नाट्य मंच की तरह प्रतीत होती है। लेखक, राज्य की राजनीति और सत्ता के जटिल ताने-बाने के साथ आम जनमानस के दैनिक संघर्ष और मानवीय मूल्यों को भी इस कदर अभिव्यक्त करते हैं कि उनकी लेखनी मे एक अनूठी सन्तुलनपूर्ण समरसता देखने को मिलती है।
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उपन्यास में छद्मावरण (डिसगाइज) की तकनीक भी उल्लेखनीय है, जो वाल्टर स्काट के इवानहो में उपयोग किए गए तरीके से कही अधिक व्यापक है। यह भी देखने योग्य है कि उनके अधिकांश महिला पात्र में छद्मावरण (डिसगाइज) नहीं देखा जाता , उनके नारी पात्रों में ईमानदारी और सच्चाई की मिसाल है। इस उपन्यास में इतिहास और रोमांस के परस्पर मिश्रण की नाटकीय वर्णन शैली पढ़ते ही बनती है। G.S Iyer द्वारा इस उपन्यास के मूल सार को बरकरार रखते हुए मलयालम भाषा से अंग्रजी भाषा में अनुवाद किया गया है।