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Pattachitra
- Pattachitra शैली ;च्ंजजंबीपजतं च्ंपदजपदहद्ध की पेंटिग ओडिशा राज्य के सबसे पुराने और सबसे लोकप्रिय कला रूपों में से एक है। हालांकि ऐसा माना जाता है कि इस चित्रशैली की उत्पत्ति 12 वीं शताब्दी में हुयी थी।
- Pattachitra कपड़े के एक टुकड़े पर किया जाने वाला एक चित्रकारी है। Pattachitra का नाम संस्कृत के शब्द पट्ट से बना है जिसका अर्थ कैनवास (कपडे़ का एक टुकडे़) से होता है।
- यह चित्रशैली वर्तमान में पूर्वी भारतीय राज्यों ओडिशा, पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश के कुछ हिस्सों में विद्यमान है।
- हालांकि इस चित्रशैली का केन्द्र ओडिशा राज्य के पुरी के आस-पास का क्षेत्र है। इसके लगभग सभी चित्रकार समुदाय पुरी जिले के एक छोटे से गांव रघुराजपुर से ताल्लुक रखते हैं।
Pattachitra शैली की कलात्मक विलक्षणता
- ये चित्रशैली हिन्दू पौराणिक कथाओं पर आधारित हैं और ये विशेष रूप से जगन्नाथ और वैष्णव सम्प्रदाय से प्रेरित है। इसका रूप श्री जगन्नाथ के पंथ और पुरी में मन्दिर परम्पराओं की निकटता से सम्बन्धित है।
- इन चित्रों में प्रयुक्त होने वाले सभी रंग प्राकृतिक होते हैं। रंग बनाने के लिए पेड़ के गोंद, सीप और कालिख आदि सामग्री का उपयोग किया जाता है। चित्रकारों द्वारा पारम्परिक तरीके से रंगों का निर्माण किया जाता है।
- इस चित्र शैली मे लोक और शास्त्रीय दोनों तत्वों का मिश्रण है, हालांकि इसका झुकाव लोक रूपों की ओर अधिक है। इस चित्र शैली की पोशाक शैली में मुगल प्रभाव की झलक दिखाई देती है।
- थिया बढ़िया (जगन्नाथ के मन्दिर का चित्रण), कृष्ण लीला (एक बच्चे के रूप में अपनी शक्तियों को प्रदर्शित करते हुए भगवान कृष्ण के रूप में जगन्नाथ का प्रदर्शन), दशावतार पट्टी (भगवान विष्णु के दस अवतार) आदि इस चित्रशैली के माध्यम से दर्शाए गये सबसे लोकप्रिय विषय हैं।
- दोनों राज्यों ओडिशा और पश्चिम बंगाल में अलगण्.अलग तरीके से पट्टचित्र का भौगोलिक संकेत पंजीकृत है क्योंकि दोनों राज्यों में चित्रों की शैली और रूपांकन अलग.अलग हैं। ओडिशा राज्य के पट्टचित्र को उड़ीसा पट्टचित्र के रूप में पंजीकृत किया गया हैए जबकि पश्चिम बंगाल को बंगाल पट्टचित्र के रूप में पंजीकृत किया गया है।