Dethroned

भारतीय रियासतें के एकीकरण का संघर्ष-Dethroned: Patel, Menon and The Integration of Princely india

प्रख्यात इतिहासकार John Zubrzycki की ‘‘Dethroned: Patel, Menon and The Integration of Princely india’’ स्वतन्त्र भारत में रियासतों के एकीकरण के संघर्ष के सघंर्ष पर आधारित है, जिसमें लेखक ने भारतीय इतिहास के इस महत्वपूर्ण पहलू को संक्षिप्त रूप् में मनोरंजनपूर्ण बनाने का प्रयास किया है। भारत एक देश तो था, परन्तु उस समय भौगोलिक एवं राजनीतिक दृष्टि से विखण्डित था। लेेखक John Zubrzycki इस पुस्तक Dethroned की प्रस्तावना द लास्ट दरबार में लिखते हैं-‘‘25 जुलाई 1947 को भारत के अन्तिम वायसराय लार्ड माउंटबेटन अपने करियर का सबसे महत्वपूर्ण भाषण देने के लिए राजाओं-महाराजाओं के सम्मुख खड़े थे। लार्ड माउंटबेटन के लिए 550 से अधिक रियासतों को मनाने के लिए केवल तीन सप्ताह थे। स्वतन्त्र भारत का हिस्सा बनने के लिए कुछ रियासतें ब्रिटेन के आकार की थीं, तो कुछ इतनी छोटी थी कि मानचित्रकारों को उन्हें पहचानने में मुश्किल हो रही थी। उनके पास कोई विकल्प भी नहीं था, क्योंकि रियासतों का एक न होने का मतलब था-उपमहाद्वीप का दर्जनों निरंकुश जागीरों में विखण्डन।’’
लेखक जान जब्रिस्की की कहानी की शुरूआत यही से होती है कि कैसे देश की अखण्डता और सम्प्रभुता को बनाए रखने के लिए रियासतों को भारत में शामिल करने के लिए साम-दाम-दण्ड-भेद सारे तरीके अपनाए गए। रियासतों के विलय के इतिहास से खुद को अवगत कराना आज के समय में विमर्शमूलक बन पड़ा है। 337 पृष्ठों में ‘Dethroned’ एक हवा के झोंके की तरह आगे बढ़ती है। यह पुस्तक Dethroned 14 रोचक अध्यायों में विभक्त है, जो हमें उस काल की परिस्थिति और महत्वपूर्ण घटनाओं का वर्णन बेहद सजीवता के साथ अनुभव कराती है।
पुस्तक Dethroned भारतीय इतिहास की इस घटना के कई महत्वपूर्ण किरदारों पर चर्चा करती है। माउंटबेटन, जिन्होंने रियासतों की समस्या की जटिलता को बहुत देर से समझा, सरदार वल्लभभाई पटेल व्यावहारिक, सख्त विचारों वाले राजनीतिज्ञ और देशभक्त, उनके डिप्टी वी0पी0 मेनन, सिगार पीने वाले सिविल सेवक और प्रमुख रणनीतिकार, जिन्हे कुछ लोग एकीकरण का असली वास्तुकार भी मानते हैं। सरदार वल्लभभाई पटेल और जवाहर लाल नेहरू के बीच की प्रतिद्वंद्विता और स्वतन्त्र भारत में रियासतों के एकीकरण का संघर्ष देश के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय है। एक कट्टर आदर्शवादी, दूसरे व्यावहारिक-दोनों दूरदर्शी व्यक्तित्व अपने राजनीतिक दृष्टिकोण और कार्यों में व्यापक रूप से भिन्न थे। 15 अगस्त, 1947 को ब्रिटिश सत्ता का अन्त हो जाने पर सरदार वल्लभभाई पटेल के नीति कौशल के कारण हैदराबाद, कश्मीर तथा जूनागढ़ के अतिरिक्त सभी रियासतों का विलय भारत में हुआ।
कश्मीर रियासत पर पाकिस्तान के आक्रमण के बाद महाराजा हरि सिंह ने उसे भारतीय संघ में मिला दिया। पाकिस्तान में सम्मिलित होने की घोषणा से जूनागढ़ रियासत में विद्रोह के फलस्वरूप प्रजा के आवेदन पर राष्ट्रहित में उसका विलय भारत में किया गया। सन 1948 में पुलिस कार्यवाही द्वारा हैदराबाद रियासत का विलय भारत में हुआ। पुस्तक Dethroned एक रोमांचक अध्याय में John Zubrzycki बेहद प्रसिद्ध घटना पर लिखते हैं-‘‘जोधपुर महाराजा ने इंस्ट्रूमेंट आफ एक्सेशन विलय पत्र पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर होने के बाद मेनन पर बन्दूक तान दी। मेनन के अनुसार, महाराजा ने रिवाल्वर तान दी और कहा मैं आपका हुक्म स्वीकार करने से इन्कार करता हूं। मेनन ने बाद में लिखा कि वे शान्त रहें और महाराजा से कहा कि उन्हें धमकी देने से विलय रद्द नहीं होगा, कृप्या किशोरों की भांति व्यवहार न करें। लेखक John Zubrzycki लिखते हैं, एक इतिहासकार ने इसे मजाक बतया-रिवाल्वर वास्तव में महाराजा की पिस्टल जैसी सात संटीमीटर की सोने की परत वाली कलम थी। बाद में यह पिस्टल लार्ड माउंटबेटन को उपहार में दी गई थी। जिन्होंने लन्दन में मैजिक सर्कल को दान कर दिया था।’ अलवर के महाराजा का कठोर कथन था कि-यदि वे नर्क में रहना चाहते हैं तो उन्हें स्वर्ग में ंरहने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए’ इन सभी जटिलताओं के समाधान के लिए यह पटेल-मेनन-माउंटबेटन की तिकड़ी ही थी, जिन्होंने शासकों के पैरों तले जमीन खिसका दी और वे सभी रियासतें विलय पत्र पर हस्ताक्षर के लिए सहमत हुए।
इस पुस्तक Dethroned में ऐसी कई महत्वपूर्ण घटनाओं का समावेश किया गया है। इस प्रकार सभी रियासतें एकीकृत हुई और पूरे भारत देश में लोकतन्त्रात्मक शासन चालू हुआ। साथ ही यह भी बताया गया है कि किस प्रकार रियासतों के शासकों व नवाबों को भारत सरकार की ओर से राजभत्ता (प्रिवी पर्स) दिया गया।
आज सरदार वल्लभभाई पटेल को भारत का बिस्मार्क’ कहा जाता है क्योंकि उन्होंने जर्मन चांसलर की तरह बिखरी रियासतों को अपनी सम्प्रभुता छोड़ने और एक एकजुट राष्ट्र बनाने के लिए मनाया। पुस्तक Dethroned में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि अपने हिस्से में आई रियासतों से पाकिस्तान ने कैसे निपटा। साथ ही इतिहासकार भारतीय कहानी उस दशक में ले जाते हैं, जब पटेल-मेनन द्वारा शुरू किया गया कारवां अन्ततः इन्दिरा गांधी के दौरान टूट गया। राजभत्ता और रियासतों के विशेषाधिकार हटा दिए गए। और इसी के साथ बिस्मार्कवाद का अन्त हुआ क्योंकि ये बिस्मार्क ही थे, जिन्होंने प्रिवी पर्स की अवधारणा विकसित की थी।
स्वाधीनता के समय और उसके बाद रियासतों की इस कहानी, जो भले ही कुछ दशकों में घटित हुयी हो, को गढ़ना काफी जटिल काम है, परन्तु लेखक John Zubrzycki द्वारा इसे बखूबी अंजाम दिया है।

स्त्रोत:-

  1. John Zubrzycki की ‘‘Dethroned: Patel, Menon and The Integration of Princely india’ के पन्नों से।
  2. दैनिक जागरण

The Indian Express

 Machuare

By admin

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