Banned $ Censored

Banned & Censored: What the British Raj Didn’t Want Us to Read

अक्सर हमें स्वतन्त्रता दिवस के अवसर पर स्वाधीनता संग्राम से जुडें नायकों का स्मरण आता है, जिनके अदम्य साहस, बलिदान और देशभक्ति ने देश को स्वतन्त्रता के मार्ग पर अग्रसर किया।

भारत में ब्रिटिश शासन के दौरान नागरिकों के स्वतन्त्रता आन्दोलन से जुड़ी विभिन्न पहुलओं को दर्शाती, वर्ष 1974 में अमेरिकी इतिहासकार एन. जेरल्ड बैरियर की बैंडः कंट्रोवर्सिउल लिटरेचर एण्ड पालिटिकल कंट्रोल इन ब्रिटिश इण्डिया, 1907-47’ प्रकाशित हुयी थी। इतिहासकारों और शोधार्थियों के लिए यह महत्वपूर्ण दस्तावेेज के रूप में लम्बे समय तक उपयोगी रही है। इस पुस्तक से ब्रिटिश राज के दौरान बड़े पैमाने पर प्रतिबन्धित लेखन सामग्री का पता चला, जिनकी संख्या बहुत ही चौंकाने वाली है।

इतिहासकार देविका सेठी की कृति ‘Banned & Censored: What the British Raj Didn’t Want Us to Read’ मौलिक और नवीन दृष्टिकोण के साथ इतिहास की पुनर्जांच के लिए एक अमूल्य और सामयिक योगदान है।

इनका यह संकलन Banned & Censored आपको शब्दों और विचारों की यात्रा पर ले जाता है, जिसमें अमर और बिसरा दी गयी घटनाओं के बारे में भारतीयों और गैर-भारतीयों द्वारा, जेल में बन्द राजनेताओं, क्रान्तिकारियों एवं छात्रों द्वारा हिन्दी, उर्दू, अंग्रेजी तथा अन्य भारतीय भाषाओं में लिखे गये दस्तावेज इसमें शामिल है।

पुस्तक Banned & Censored का प्रत्येक अंश उस समय पर प्रकाश डालता है, जब इन असाधारण लेखों को रचा और प्रसारित किया गया था। इस संकलन में महात्मा गांधी, सुभाष चन्द्र बोस, विनायक दामोदर सावरकर, बाल गंगाधर तिलक, जवाहर लाल नेहरू, लाला लाजपत राय, भीकाजी कामा, हरदयाल, मदनलाल डींगरा, अरबिन्दों घोष, एच0एम0 हाइंडमैन, मदन मोहन मालवीय, श्यामा प्रसाद मुखर्जी, जयप्रकाश नारायण, जवाहर लाल नेहरू, लाला लाजपत राय, चक्रवर्ती राजगोपालचारी, सम्पूर्णानन्द जैसी प्रसिद्ध हस्तियां शामिल हैं।

देविका सेठी की कृति Banned & Censored

वर्ष 1900 से 1947 के बीच की अवधि में प्रत्येक दशक के लिए एक अध्याय कुल पांच खण्डों में विभाजित है। यह कृति Banned & Censored ब्रिटिश राज द्वारा राष्ट्रवादियों के लेखन पर प्रतिबन्ध लगाने के औजार के रूप में भारतीय दण्ड संहिता की धारा 124 ए (राजद्रोह) और 153 ए (धार्मिक भावनाओं को आहत करना) के प्रविधानों के उपयोग का भी जिक्र करती है।

लेखिका देविका सेठी लिखती हैं कि ब्रिटिश शासन के अन्तिम कुछ दशकों में आठ से दस हजार व्यक्तिगत लेखों और लगभग 2000 समाचार पत्रों को प्रतिबन्धित किया गया था, जिनमें सभी का विश्लेषण आंखे खोलने वाला है।

यह किताब Banned & Censored शुरू होती है, एक मराठी कहानी ‘ए दरबार इन हेल’ से जो बंगाल के विभाजन के समय 1905 में मराठी अखबार ‘भाला’ में प्रकाशित हुयी थी। इस कहानी के गम्भीर राजनीतिक लेखन ने ब्रिटिश शासन के चरित्र, निरंकुशता को उजागर किया था। तत्कालीन बम्बई सरकार द्वारा वर्ष 1910 में प्रतिबन्धित, भारत की स्वतन्त्रता और स्वयत्तता के लिए महात्मा गांधी की महत्वपूर्ण ‘हिन्द स्वराज’ एक जहाज पर 10 दिनों में सम्वाद रूप में लिखी गयी।

हिन्द स्वराज में महात्मा गांधी ने न केवल ब्रिटिश, बल्कि भारतीयों की भी आलोचना करते हुये लिखा था-‘अंग्रेजों ने भारत नहीं लिया है, हमने इसे उन्हें दे दिया है।’ इस पुस्तक Banned & Censored में आगे वीर सावरकर के व्यक्तित्व के विभिन्न पहलुओं को सामने लाता हुया उनका लेखन ‘ऐ शहीदों’ है, जिसे उन्होंने 1857 की क्रान्ति के 50 वर्ष पूरे होने पर लिखा था।

साथ ही, जवाहर लाल नेहरू की अक्टूबर, 1930 में गिरफ्तारी के बाद प्रकाशित ‘द ऐट डेज इंटरल्यूड’ नामक पुस्तिका, जिसे राजद्रोह, भारतीयों को कर न देने क लिए उकसाने और भारतीय नमक अधिनियम के तहत अपराधी करार देने प्रतिबन्धित कर दिया गया।

हिन्दुस्तान गदर पार्टी के प्रमुख लाला हरदयाल द्वारा 1913 में तैयार ‘युगान्तर सर्कुलर’ जिसे अंग्रेजों द्वारा बैन किया गया था, अंग्रेजी के इस पम्फलेट में एक पैराग्राफ था, जिसमें उदारवादी भारतीय राजनेताओं की कड़ी आलोचना की गई थी और उन्हें अंग्रेजों का चाटुकर बताया गया था। इस कृति Banned & Censored के संकलन का अन्तिम भाग नेताजी सुभाष चन्द्र बोस पर आधारित है।

ब्रिटिश सरकार द्वारा प्रतिबन्धित जुलाई, 1946 में नेताजी के लेखों का संकलन ‘टेस्टामेंट आफ सुभाष बोस’ में उन्होंने ब्रिटिश शासन की कड़ी आलोचना और महात्मा गांधी की प्रशंसा की थी। यह किताब ऐसे ढेरों प्रतिबन्धित विचारों का संग्रह है, जो हमें उस कालखण्ड की घटनाओं, व्यक्तियों और लेखनों के बारे में जानकारी सुलभ कराती है।

अन्तिम 40 वर्ष की ब्रिटिश शासन की प्रमुख घटनाओं जैसे, भगत सिंह और बाटुकेश्वर दत्त द्वारा वर्ष 1927 में दिल्ली में केन्द्रिय विधानसभा में बम फेंका जाना, कांग्रेस लाहौर अधिवेशन और पूर्ण स्वराज्य प्रस्ताव, काकोरी ट्रेन एक्शन और प्रयागराज के एक पार्क में 1931 में चन्द्रशेखर आजाद की मृत्यु और 23 मार्च, 1931 को भगत सिंह, राजगुरू और सुखदेव को फांसी दिया जाना एवं अन्य घटनाएं Banned & Censored में  शामिल हैं।

इन सभी प्रकरणों में युवा क्रान्तिकारियों के बलिदान ने देश को झकझोरकर रख दिया और भारत के लगभग सभी हिस्सों में वर्षों तक उनके जीवन के बारे में लिखने एवं प्रसारित किए जाने के लिए प्रेरित किया।

ऐतिहासिक तथ्यों के इस संकलन से भारतीयों की अवधारणा के पुनर्विचार का एक नया दृष्टिकोण मिलता है। Banned & Censored पुस्तक सही मायनों में राजनीति, कानून और आधुनिक भारतीय इतिहास के विकास में रूचि रखने वाले हर एक व्यक्ति के लिए एक संग्रहणीय संकलन है।

स्त्रोत- 1. Banned & Censored: What the British Raj Didn’t Want Us to Read के पन्नों से
2. दैनिक जागरण

पिथौरागढ़ (PITHORAGARH)

By admin

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