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अल्लूरी सीताराम राजू-रम्पा विद्रोह के लोकनायक
- Alluri Sitarama Raju भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में रम्पा विद्रोह का नेतृत्व करने वाले क्रान्किारी के रूप् में जाने जाते है।
- Alluri Sitarama Raju ने महात्मा गांधी के असहयोग आन्दोलन के प्रभाव में, आदिवासियों को स्थानीय पंचायत अदालतों में न्याय पाने और औपनिवेशक अदालतों का बहिष्कार करने के लिए प्रेरित किया।
- उन्होंने पूर्वी घाट के आदिवासी इलाकों को अपना घर बनाया और आदिवासियों के लिए काम करने का फेसला किया, जो घोर गरीबी में जी रहे थे और पुलिस, वन और राजस्व अधिकारियों द्वारा मन्यम (वन क्षेत्र) में लूटे जा रहे थे।
- उन्होंने उनके बीच काम करना शुरू कर दिया और अपनी व्यापक यात्राओं से प्राप्त ज्ञान का उपयोग करके उन्हें शिक्षा और चिकित्सा सहायता प्रदान करके उनकी मदद की।
- अगस्त, 1922 में उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ रम्पा विद्रोह शुरू किया।
रम्पा विद्रोह और Alluri Sitarama Raju
- 1922 का रम्पा विद्रोह जिसे मान्यम विद्रोह के रूप् में भी जाना जाता है, ब्रिटिश भारत के मद्रास प्रेसिडेन्सी की गोदावरी एजेंसी में Alluri Sitarama Raju के नेतृत्व में किया गया एक आदिवासी विद्रोह था।
- रम्पा प्रशासनिक क्षेत्र लगभग 28000 जनजातियों का घर था। इस क्षेत्र के आदिवासियों द्वारा अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह इसलिए शुरू किया गया क्योंकि अंग्रेज सरकार द्वारा मद्रास वन अधिनियम 1882 को लागू किया गया था, जिसने अपने स्वयं के जंगलों के भीतर आदिवासी समुदाय के मुक्त आवागमन को गम्भीर रूप् से प्रतिबन्धित कर दिया था।
- इस कानून के कारण समुदाय पारम्परिक पोडू कृषि प्रणाली को पूरी तरह से चलाने में असमर्थ हो गया था। पोडू कृषि प्रणाली के तहत स्ािानान्तरित खेती की जाती थी।
- इस सशस्त्र संघर्ष का वर्ष 1924 में एक हिंसक अन्त हुआ, जब Alluri Sitarama Raju को पुलिस बलों द्वारा पकड़ लिया गया तथा उनकी हत्या कर दी गई।
- उनकी वीरता के कारण उन्हें मन्यम वीरूदु या जंगल के नायक के नाम से भी जाना जाता है।