हम्पी का शिला रथ (Stone Chariot)
यह रथ की तरह बनाया गया एक मंदिर है, जिसे ’Stone Chariot’ (शिला रथ) भी कहा जाता है। भगवान विष्णु की सवारी गरूड़ (Garuda) को समर्पित शिला रथ में पहले गरूड़ की प्रतिमा थी, जो अब मौजूद नहीं है।
- विजय विटुल मंदिर के आधार पर स्थिति इस Stone Chariot का मुख्य विटुल मंदिर के गर्भगृह (sanctum) की ओर है। हम्पी शिला रथ भारत के 3 प्रसिद्व शिला रथों में से एक है, अन्य दो रथ ओडिशा राज्य के कोणार्क में तथा तमिलनाडु राज्य के महाबलीपुरम में स्थित हैं।
- रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा जारी 50 रूपये के नए नोट के पिछले हिस्से में भी इसी शिला रथ का चित्र बना हुआ है।
Stone Chariot का निर्माण एवं संरचना
Stone Chariot का निर्माण 16वीं शताब्दी में विजयनगर साम्राज्य के राजा कृष्णदेव राय द्वारा किया गया था, राजा कोर्णार्क सूर्य मंदिर के रथ से मोहित हो गये थे।
- इसके ऊपर पहले एक गुम्बद जैसी संरचना थी जो अब वहां नही है। गुंबद की संरचना के प्रमाण अलेक्जेंडर ग्रीनलॉ द्वारा 1856 में ली गई हम्पी की तस्वीरों में देखे जा सकते है।
- यह एक एकाश्म संरचना (monolithic structure) तरह दिखाई देता है परन्तु इसके उलट इसे ग्रेनाइट के कई विशाल ब्लॉकों के द्वारा बनाया गया है।
- नक्काशी तथा अन्य सजावटी विशिष्टताओं के द्वारा ग्रेनाइट के इन विशाल ब्लॉक्स के जोड़ों को बेहद सावधानी से छिपाया गया है।
हम्पी Stone Chariot की वास्तुकला
- वास्तुकला की द्रविड़ शैली (Dravidian Styleof Architecture) से प्रेरित, यह रथ एक वृहत संरचना है जो पहले के कारीगरों तथा वास्तुकला के कौशल को दर्शाता हैं।
- यह शिला रथ लगभग एक फुट ऊचें आयताकार प्लेटफॉर्म पर बनाया गया है तथा इस आधार प्लेटफॉर्म पर सभी तरफ से पौराणिक युद्व दृश्यों को उकेरा गया है।
- इसमें चार विशाल पहिये लगे हुए हैं जिन्हें वास्तविक रथ के पहियों की तरह बनाया गया है तथा संकेंद्रित पुष्प रूपांकनों की एक श्रृंखला के माध्यम से इन पहियों को सजाया गया है।
- इसके सामने दो हाथी बनाए गये हैं तथा ऐसा दिखाई देता है जैसे वे रथ को खींच रहे है। हालॉकि इस स्थान पर सबसे पहले दो घोड़े बनाए गए थे तथा बाद में हाथियों को कहीं और से लाकर यहां स्थापित किया गया था।
कला एवं सस्कृति हम्पी का प्रसिद्व Stone Chariot –
- भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा हाल ही में हम्पी के विजय विटटल मंदिर परिसर (Vijaya Vittala Vittala Temple Complex) में स्थित प्रसिद्व रथ (stone chariot) की सुरक्षा के लिए इसके चारों ओर लकड़ी की बैरिकेड लगाई गई।
- बहुत बार देखा गया है कि पर्यटक इन स्मारकों के बहुत करीब पहुच जाते हैं तथा कुछ पर्यटक इन्हें छूने और इन पर चढ़ने की कोशिश भी करते है।
- हाल ही में इन सब स्थिति को देखते हुए स्मारक को होने वाले नुकसान को रोकने के लिए ही एएसआई ने 16वीं शताब्दी में निर्मित इस विरासत संरचना के चारों ओर लकड़ी की बैरिकेडिगं लगाने का फैसला किया है।