Theyyam (थेय्यम)
Theyyam (थेय्यम) केरल और कर्नाटक राज्य का एक प्रसिद्ध आनुष्ठानिक नृत्य पूजा का कला रूप है, जिसकी उत्पत्ति उत्तरी केरल में हुई थी। यह इन राज्यों की महान गाथाओं को जीवंत करता है। इसमें नृत्य, प्रहसन और संगीत शामिल है। प्राचीन कबीलों की उन मान्यताओं पर यह प्रकाश डालता है जिन्होंने पूर्वजों की आत्माओं के पूजन पर बल दिया था।
- इसमें कई हजार साल पुरानी परम्पराएं और रीति-रिवाज शामिल होते हैं।
- यहां के लोग Theyyam को स्वयं भगवान के लिए एक माध्यम के रूप में मानते हैं। इस प्रकार लोग भगवान से आशीर्वाद मांगते हैं।
- प्रत्येक Theyyam एक पुरूष या एक महिला होती है, जिसने वीरतापूर्ण कर्म करके या एक पुण्य जीवन व्यतीत करके दैवीय स्थिति प्राप्त की होती है। कलाकार (कोलक्कारन) अधिक श्रंगार करते हैं और आर्कषक वेशभूषा धारण करते हैं। कलाकार के चेहरे का श्रंगार, वेशभूषा थेय्यम की प्रकृति पर निर्भर करता है।
- इनमें अधिकांश Theyyam (थेय्यम) को शिव या शक्ति (पार्वती) का अवतार माना जाता है।
- 400 से अधिक प्रकार के Theyyam (थेय्यम) होते हैं जिनका अपना-अपना अलग संगीत और शैली होती है।
- इनमें करि चामुण्डी, रक्ता चामुण्डी, मुच्चिलोटू भगवती, गुलिकन, पोट्टन और वयनाट्टु प्रमुख थेय्यम है।
- पवित्र उपवनों और अन्य स्थानों पर आमतौर पर वर्ष में एक बार ही किया जाता है और इसे कलियट्टम के नाम से भी जाना जाता है तथा जिसका प्रदर्शन बहुत सालों के बाद किया जाता है उसे पेरूंकलियाट्टम कहा जाता है।
- Theyyam का प्रदर्शन करिवेल्लूर, चेरूकुन्नू, नीलेश्वरम, ऐषोम, कुरूमात्तूर और कुन्नत्तूरपाड़ि उत्तरी मलबार में हर वर्ष होता है।
प्रमुख प्रकार
- विष्णुमूर्तिः इसमें केवल दो वैष्णव दैवतार और विष्णुमूर्ति होते हैं। ये भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं। ये पलन्थाई कन्नन की कहानी बताते हैं, जो विष्णु भगवान के बहुत बड़े भक्त थे।
- गुलिकनः गुलिकन Theyyam को मृत्यु और न्याय के हिन्दू देवता यम का अवतार माना जाता है। भारतीय पौराणिक कथाओं में वर्णित है कि गुलिकन भगवान शिव के सबसे महत्वपूर्ण योद्धाओं में से एक थे।
- कुट्टीचथनः यह ब्राह्मण जाति का होता है। यहां यह मान्यता है कि कुट्टीचथन की उत्पत्ति विष्णु माया में भगवान शिव के लिए हुई थी।
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