Musada Gayan (मुसाधा गायन)
Musada Gayan (मुसाधा गायन) में लोक गाथाएं अनेकता के रंग में रंगी हुई हैं और पीढ़ी-दर-पीढ़ी मौखिक रूप में आज भी हिमाचल प्रदेश में गाई जाती है और सुनी भी जाती है।
- Musada Gayan में धार्मिक प्रसगों वाली कई गाथाएं गाई जाती हैं, जैसे रमीण (रामायण), पंडवीण (महाभारत), शवीण (शिव पुराण) आदि ऐतिहासिकता आख्यान को गाथाकार ने अपनी बोली में निषद्ध किया है।
- इस गायन में मात्र दो कलाकार होते हैं। इसमें पुरूष कलाकार को घुराई और महिला कलकार को घुरैण कहते हैं।
- मुसाधा लोक कलाकार विश्व में ऐसे पहले लोक कलाकार है, जो एक साथ दो वाद्य यन्त्रों को बजाते हुए गाता है। ये एक हाथ में वाद्ययन्त्र खंजरी से ताल बजाता है और दूसरे हाथ से गले में लटका वाद्य यंत्र रूबा (तार वाद्य) से संगीत देते हुए गाता है तथा घुरैण हाथों में केसी बजाते हुए गाने में साथ देती है।
- लोक गाथा का अभिप्राय है जनसाधारण में चली आ ऐसी परम्परा के प्रबन्धात्मक गीत होते है। जिनका प्राचीनकाल में लेखन की सुविधा ने होने के कारण श्रुतियों द्वारा अपने नायकों, देवताओं और सम्राटों की प्रशस्तियॉ गाने की परम्परा चली आ रही है। रामयाण, महाभारत काव्यों के नायकों की गाथाओं से समस्त भारत के शिष्ट तथा लोक साहित्य में देवगाथाएं उपलब्ध होती हैं।
भारत सरकार ने हाल ही में संस्कृति मंत्रालय के अन्तर्गत एवं हिमाचल प्रदेश भाषा, कला एवं संस्कृति विभाग के निर्देशन में नेशनल यूथ सेंटर द्वारा विलुप्त हो रही है मुसाधा गायन लोक गाथा गायन लोक संस्कृति को बचाने के लिए हिमाचल प्रदेश के फाटा गांव में प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया।
यह भी जरूर पढ़े मांगणियार (Manganiyar)