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Rudreswara Temple (रूद्रेश्वर मन्दिर)
Rudreswara Temple का निर्माण 1213 ईस्वी में काकतीय साम्राज्य के शासनकाल के दौरान काकतीय राजा गणपति देव (Kakatiya King Ganapati Deva) के सेनापति रेचारला रूद्र (Recharla Rudra) द्वारा किया गया था।
- Rudreswara Temple के निर्माण में 40 साल तक काम करने वाले मूर्तिकार के नाम पर इसे रामप्पा मन्दिर (Ramappa Temple) के नाम से भी जाना जाता है।
- Rudreswara Temple वारंगल की हनमकोंडा पहाडी पर स्थित है। भगवान शिव के प्रिय नंदी की विशाल मूर्ति मन्दिर के मुख्य दरवाजे के पास स्थित है, जिसे काले पत्थर को तराश कर बनाया गया है।
- इस मन्दिर में भगवान शिव और विष्णु के साथ सूर्य देव की मूर्ति है। इसलिए इसे त्रिकुटल्यम भी कहते हैं। साधारण तौर पर देखा जाता है कि भगवान शिव और विष्णु की प्रतिमा के साथ ब्रह्मा की प्रतिमा होती है
- यह एक तारे के आकार का प्राचीन मंदिर स्थापत्य कला का शानदार नमूना है। इस मन्दिर में एक हजार स्तंभ हैं। इसलिए इसे हजार स्तंभों वाला मंदिर भी कहते हैं।
- Rudreswara Temple, जो अपने उत्कृष्ट शिल्प कौशल और बारीक कार्य के लिए जाना जाता है, तकनीकि ज्ञान और अपने समय की सामग्री का शानदार मिश्रण है।
- Rudreswara Temple के स्तम्भों में बहुत बारीक वास्तुकला का प्रयोग किया गया है। इसमें सुई से भी बारीक छिद्र हैं। मन्दिर में विराजमान भगवानों को मन्दिर से किसी भी कोने से देखने पर कोई स्तम्भ बीच में नहीं दिखायी देता है।
- इनकी नींव सैंडबॉक्स तकनीक के साथ बनाई गई है, इसके फर्श ग्रेनाइट के हैं और स्तम्भ बेसाल्ट के हैं।
- यह मन्दिर जटिल नक्काशी से सजी दीवारों, खम्भें और छतों के सहारे 6 फीट ऊंचे सितारे के आकार के मंच (Star-shaped platform) पर खड़ा है, जो काकतीय मूर्तिकारों के अद्वितीय कौशल को प्रदर्शित करता है।
- यूरोपीय व्यापारी और यात्री Rudreswara Temple की सुन्दरता से मंत्रमुग्ध थे और ऐसे ही एक यात्री ने टिप्पणी की थी कि यह मन्दिर दक्कन के मध्ययुगीन मन्दिरों की आकाशगंगा में सबसे चमकीला तारा था। इस मन्दिर में स्थित हाजारों खम्भें, विशाल प्रवेशद्वार और खुबसूरत नक्काशी आकर्षण का केन्द्र हैं।
- इस मन्दिर के निर्माण में जिन पत्थरों का उपयोग किया गया है, वे काफी हल्के हैं जिस कारण वे पानी में भी नहीं डूबते हैं। मंदिर में इस्तेमाल करने के लिए इन्हें कहा से लाया गया था आज तक अज्ञात है।
चर्चा में Rudreswara Temple
चीन के फुजू में 16-31 जुलाई, 2021 के मध्य आयोजित यूनेस्को की विश्व धरोहर समिति के 44 वे सत्र में 2 नए भारतीय स्थलों-तेंलगाना में स्थित काकतीय रूद्रेश्वर मन्दिर तथा गुजरात में स्थित हड़प्पा शहर धोलावीरा को यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल किया गया था।
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