Jallianwala Bagh Massacre

Jallianwala BaghMassacre (जलियांवाला बाग हत्याकाण्ड)

  • Jallianwala Bagh Massacre इतिहास के जघन्यतम मानवाधिकार अपराधों में है जिसने ऊधम सिंह जैसे युवाओं को विदेशी शासन के निर्दय चरित्र के विरूद्ध जागृत किया।
  • Jallianwala Bagh Massacre को व्यापक रूप से भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन में महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में देखा जा सकता है, जिसने अंग्रेजी राज के क्रूर और दमनकारी चेहरे को उजागर किया।

जलियांवाला बाग हत्याकाण्ड की पृष्ठभूमि

प्रथम विश्व युद्ध के दौरान औपनिवेशिक ब्रिटिश सरकार के दमनकारी आपातकालीन शक्तियों का प्रयोग प्रारम्भ किया, जिसका उद्देश्य विध्वंसक गतिविधियों का मुकाबला करना था।

  • भारतीयों को उम्मीद थी कि प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति पर सरकार अपने दमनकारी उपायों को कम करेगीं और भारत को अधिक राजनीतिक स्वायत्तता दी जाएगी।
  • इसके बजाय सरकार ने 1919 की शुरूआत में रॉलेट अधिनियम के नाम से एक कानून पारित किया, जिसके तहत बिना किसी वकील, दलील तथा अपील के किसी भी क्रान्तिकारी को निवारक निरोध के तहत गिरफ्तार किया जा सकता है।

घटनाक्रम

जलियांवाला बाग हत्याकांण्ड को अमृतसर नरसंहार के नाम से भी जाना जाता है।

  • रॉलेट अधिनियम के पारित होने से, भारत विशेष रूप से पंजाब क्षेत्र में भारी क्रोध तथा असन्तोष फैल गया। अप्रैल की शुरूआत में महात्मा गांधी ने इसके विरोध में पूरे भारत में एकदिवसीय सामान्य हड़ताल की घोषणा की। पंजाब के लोकप्रिय नेता डॉ0 किचल और डा0 सत्यपाल की गिरफ्तारी के विरोध प्रदर्शन हेतु 10 अप्रैल को अमृतसर में अनेक नेताओं की गिरफ्तारी के बाद हिंसक प्रदर्शन जुलूसों तथा प्रदर्शनों पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया।
  • 13 अप्रैल, 1919 को बैशाखी के दिन अंग्रेज जनरल ओ डायर के नेतृत्व में ब्रिटिश सैनिकों ने अमृतसर में जलियांवाला बाग के नाम से जाने जानी वाली एक खुली जगह में रॉलेट अधिनियम का विरोध कर रहे निहत्थे भारतीयों की एक बड़ी भीड़ पर गोलीबारी की, जिसमें कई सौ लोग मारे और सैकड़ों लोग घायल हो गए।

भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन में Jallianwala Bagh Massacre का प्रभाव

इस हत्याकाण्ड में आधुनिक भारत के इतिहास को बदलने में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा की, इस घटना के बाद भारतीय राष्ट्रवाद को नई दिशा मिली तथा महात्मा गांधी ने असहयोग आन्दोलन के माध्यम से ब्रिटिश उपनिवेशवाद के विरूद्ध नई लड़ाई का आहवान किया।

  • असहयेाग आन्दोलन से ही भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन ने एक चरण में प्रवेश किया।
  • नेबेल पुरस्कार विजेता बंगाली कवि रवीन्द्रनाथ टैगोर ने इस घटना के विरोध में अपनी नाइटहुड की उपाधि वापस कर दी, वायसराय की कार्यकारिणी के सदस्य शंकर नायर ने त्याग तत्र दे दिया।
  • घटना की जांच के लिए सरकार ने हंटर आयोग का गठन किया।
  • हण्टर कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में लिख कि ’अमृतसर की तात्कालीन परिस्थितियों मंे मार्शल लॉ लगाना और भीड़ को नियंत्रित करने के लिए गोली-चलाना आवश्यक था, लेकिन डायर ने अपने कर्तव्य को गलत समझा और तर्कसंगत आवश्यकता से अधिक बल प्रयोग किया, फिर भी उसने ईमानदारी के साथ जो उचित समझा वही किया’।
  • Jallianwala Bagh Massacre के दोषी लोगों को बचाने के लिए सरकार ने हण्टर कमीशन की रिपोर्ट आने से पूर्व ही ’इण्डेग्रिटी बिल’ पास कर लिया था।
  • कांग्रेस ने Jallianwala Bagh Massacre को जांच हेतु मदन मोहन मालवीय की अध्यक्षता में एक समिति की नियुक्ति की गई। समिति के अन्य सदस्य थे-मोतीलाल नेहरू, माहात्मा गांधी, सी0आर0 दास, तैययबजी और जयकर आदि।
  • दीनबंधु सी0सफ0 एण्ड्रूज ने इस हत्याकाड को जानबूझ कर की गई क्रूर हत्या’ की संज्ञा दी।
  • Jallianwala Bagh Massacre के समय ही पंजाब में चमनदीप के नेतृत्व में एक ’डंडा फौज’ अस्तित्व में आयी, जो लाठियों और चिड़ियामार बंदूकों से लैस होकर सड़कों पर गश्त लगाते और पोस्टर चिपकाते थे।

भारत छोड़ो आन्दोलन का भारतीय स्वातन्त्रता में महत्व ?

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Exit mobile version