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Keeladi प्राचीन स्थल में उत्खनन
तमिलनाडु के Keeladi प्राचीन स्थल (Ancient Site of Keeladi) में चल रहे उत्खनन के छठे चरण के तहत कोंथागई गॉव (Konthagai village) से 19 जून, 2020 को एक बच्चे के कंकाल के अवशेष प्राप्त हुए।
- 75 सेमी0 की लम्बाई वाला यह कंकाल उसी दिन प्राप्त दो टेराकोटा कलशों (Urns) के बीच पाया गया। यह कंकाल सतह से 5 मीटर नीचे पाया गया।
- हालांकि अभी तक इस बच्चे की उम्र का निर्धारण नहीं किया गया है तथा इसे निर्धारित करने के लिए कार्बन डेटिंग प्रक्रिया की मदद लेनी होगी।
- वर्तमान में तमिलनाडु के शिवगंगा जिले के कीलादी, कोंथागई, मनालूर और अगारम गांवों में उत्खनन कार्य संचालित हो रहें हैं। कोंथागई गॉव, Keeladi से लगभग 2 किमी. दूर स्थित है तथा ऐसा माना जाता है कि यह एक शवधान स्थल (burial site) है।
- उल्लेेखनीय है कि 1500 ईसा पूर्व के मेगालिथिक काल के बाद के प्राचीन शवधान स्थलों में दफनाने की या शवधान की विभिन्न प्रकार की प्रथांए देखी गई हैं, जिसमें कब्र शवाधान (pit burial) कलश शवाधान (urn burial) तथा सतह शवाधान (surface burial) शामिल हैं। इससे पहले शवों को जला दिया जाता था या अन्य तरीकों से उनका निस्तारण कर दिया जाता था।
Keeladi उत्खनन स्थल
Keeladi उत्खनन स्थल संगम काल की एक बस्ती है जिसका उत्खनन भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और तमिलनाडु पुरातत्व विभाग द्वारा किया जा रहा हैं। यह बस्ती वैगई नदी के तट पर स्थित हैं। यह स्थल तमिलनाडु में मदुरै से 12 किमी. दक्षिण-पूर्व में शिवगंगा जिले के कीलादी शहर के पास स्थित है। कीलादी उत्खनन, तमिलनाडु में आदिचनल्लूर पुरातात्विक स्थल के बाद किया गया सबसे व्यापक उत्खनन है। यह स्थल 5वीं शताब्दी ईसा पूर्व तथा तीसरी शताब्दी ईस्वी के बीच की अवधि से संबधित हैं।
Keeladi ऐतिहासिक महत्व
Keeladi-वैगई तट पर संगम काल की एक शहरी सभ्यता तमिलनाडु में मौजूद थी।
- इसके पहले संगम काल को तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व और तीसरी शताब्दी ईस्वी के बीच का माना जाता है। लेकिन शिवगंगा जिले में स्थित कीलादी उत्खनन से प्राप्त संगम युग की सामग्री 600 ईसा पूर्व तथा 100 ईस्वी के बीच की मानी गई हैं।
- कीलादी कार्बन नमूनों से प्राप्त डेटिंग (Dating) तमिल-ब्राही के काल को 6वीं शताब्दी ईसा पूर्व का मानती है। वहीं कोडुमनल (Kodummanal) और पोरून्थल (Porunthal) से प्राप्त डेटिंग ने तमिल-ब्राही की तारीख को 5वीं शताब्दी ईसा पूर्व का माना है।
- Keeladi उत्खनन से प्राप्त ये नवीन वैज्ञानिक तिथियां संगम युग के काल का फिर से आकलन करने के लिए मजबूर करती है।
- उपलब्ध प्रमाण से ज्ञात होता है कि तमिलनाडु का प्रारंभिक ऐतिहासिक काल ईसा पूर्व छठी शताब्दी में शुरू होता है। चूॅकि 6वीं शताब्दी ईसा पूर्व में उच्च साक्षरता का स्तर अच्छी तरह से हासिल कर लिया गया था, इसलिए स्वाभाविक रूप से तमिलनाडु की ऐतिहासिक अवधि की शुरूआत 6वीं शताब्दी ईसा पूर्व से मानी जाती हैं।
- खुदाई के दौरान प्राप्त हुए पुरावशेषों से लौह युग (12वीं शताब्दी ईसा पूर्व से 6वीं शताब्दी ईसा पूर्व) तथा प्रारम्भिक ऐतिहासिक काल (छठीं शताब्दी ईसा पूर्व से चौथी शताब्दी ईसा पूर्व) के मध्य गायब कड़ी को समझने के लिए महत्वपूर्ण साक्ष्य प्राप्त हुए हैं।
- गंगा की घाटी में हुआ दूसरा शहरीकरण तमिलनाडु में नहीं हुआ था। लेकिन, कीलादी उत्खनन से स्पष्ट होता है कि तमिलनाडु में 6वीं शताब्दी ईसा पूर्व में दूसरा शहरीकरण हुआ था। गंगा के मैदानों का लौह युग और नास्तिक सम्प्रदायों के उदय की अवधि कीलादी के समकालिन मानी जाती है।
- कीलादी सभ्यता के लोग कृषि कार्यों के जानवरों का उपयोग करते थे क्योंकि इस स्थान से गाय, भैंस, बैल आदि जानवरों के कंकाल प्राप्त हुये है।
तमिल-ब्राह्मी लिपि
ब्राह्मी लिपि जिसका सर्वप्रथम तमिलों द्वारा प्रयोग की जाने वाली लिपि थी। तमिलों ने एक नयी कोणीय लिपि का प्रयोग किया जिसे ग्रंथ लिपि कहा जाता है। इसी लिपि से ही आधुनिक तमिल शब्द निकला है।
वैगई नदी
वैगई नदी पूर्व दिशा में प्रवाहित होती हुयी बंगाल की खाड़ी में समाहित होती है। नदी का बेसिन कन्याकुमारी तथा कावेरी नदी के मध्य अवस्थित महत्वपूर्ण बेसिन है। बेसिन पूर्व में पाक जलडमरू, मध्य और पश्चिम में कार्डमम तथा पालनी पहाड़ियों से घिरा है।
Doyou Know ? थमिराबरानी नदी सभ्यता