तिराहे पर तीनरजनी गुप्ता, राजपाल, नई दिल्ली

भूमण्डल के विस्तृत नभ में स्त्री जीवन त्रासदियों की विविध पगडंडियों पर कठोर व कड़वे अनुभाकाश में उड़ान भरते हुए यात्राओं के पहाड़ सरीखे दर्द को पिघलाती हैं। उपन्यास का शीर्षक भले ही तिराहे पर तीन (Tirahe par Teen) है, विषय के अंतस में स्त्री के बहुतेरे दर्द अनुभव स्पंदित हैं। सभी स्त्रियां अपने जीवनानुभव के साथ कथा सूत्र को गतिमान करती हैं। कथा की पठनीयता में पाठक की अंगुली पकड़कर सरस संवाद की गुंजाइश पैदा करती है। अपने सशक्त किरदार के साथ कृष्णा, रूपा, रेवती, अलका, मालती और कुसुम की पहलकदमी ध्यान खीचती हैं और उपन्यास को जीवन्त बनने में अहम भूमिका निभाते हुए उपस्थिति दर्ज करने को बाध्य करती हैं। गौरतलब है कि स्त्री परिप्रेक्ष्य को विस्तार देने के साथ सूक्ष्म पहलुओं को चिन्हांकित करने में सबल एवं दुर्बल दोनों स्वरूपों पर बराबर ध्यान केन्द्रित है।

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