Paika Rebellion

Paika Rebellion (पाइका विद्रोह)

       1817 का Paika Rebellion ओडिशा में खुर्दा (Khurda) के पाइकाओं द्वारा अग्रेजों के खिलाफ किया गया एक सहस्त्र विद्रोह था। इस विद्रोह को खुर्दा के राजा ने पाइको के सहयोग से संगठित किया था।

  • पाइका लोगों ने भगवान जगन्नाथ को उड़िया एकता का प्रतीक मानकर वक्सी जगबंधु विद्याधर (Buxi Jagabandhu Bidyadhara) के नेतृत्व में 1817 ई0 में ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी की शोषणकारी नीतियों के विरूद्ध उड़ीसा में किया गया एक सशस्त्र, व्यापक जनआधार वाला और संगठित विद्रोह शुरू किया था।
  • पाइका नेता जगबन्धु के नेतृत्व में पाइक विद्रोहियों ने अंग्रेजी सेना को पराजित कर पुरी पर अधिकार कर लिया था।
  • घुमसुर के 400 से अधिक आदिवासियों और अन्य वर्ग के लोगों ने ब्रिटिश राज के खिलाफ विद्रोह करते हुए खुर्दा में प्रवेश किया तथा पुलिस थानों, प्रशासकीय कार्यलयों में आग लगा दी।
  • Paika Rebellion उडीसा प्रान्त के अन्य जगहों जैसे पीपली, पुर्ल और कटक में तेजी से फेल गया।
  • शीघ्र ही यह आन्दोलन पूरे उड़ीसा में फैल गया किन्तु अग्रेजों ने निर्दयतापूर्वक इस आन्दोलन को दबा दिया।
  • बख्शी जगबन्धु ने वन में छिपकर काफी समय तक संघर्ष किया किन्तु बाद में वर्ष 1825 में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया तथा 1829 में इनकी मृत्यु कैद रहते हो गयी है।
  • यद्यपि Paika Rebellion ने बड़े स्तर पर सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक गतिविधियों को प्रभावित किया।

विद्रोह के कारण

  • पाइका विद्रोह के कई सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक कारण थे क्योकि ईस्ट इण्डिया कम्पनी द्वारा 1803 में खुर्दा विजय के कारण पाइकों की शक्ति के घटने लगी थी।
  • अग्रेजों के द्वारा पाइकों की लगान मुक्त भूमि को अपने अधिकार में कर लिया और उन्हें उनकी भूमि से विमुख कर दिया।
  • कम्पनी की जबरन वसूली वाली भूराजस्व नीति के कारण किसान और जमीदार को समान रूप से प्रभावित किया।
  • नयी कर प्रणाली के कारण उड़ीसा में कीमतों में असामान्य वृद्धि हुयी है जिससे वहां का हर तबका प्रभावित हुया।
  • कम्पनी ने कौड़ी मुद्रा व्यवस्था को ही समाप्त कर दिया जिससे वहां भारी असन्तोष उत्पन्न हुया।

पइका कौन थे-

उड़िया भाषा में, ’पाइका’ शब्द का अर्थ है ’योद्वा लड़ाकू’ ओडिशा के पाइका एक तरह से रक्षक योद्वा या मिलिशिया थे जो अपने रक्षा कर्तव्यों का पालन करके गजपति सम्राटों की सेवा करते थे।

  • यह पारम्परिक नागरिक सेना वीर योद्वाओं की तरह जनता की रखवाली करती थी और इसने 1875 के स्वतंत्रता संग्राम से करीब 40 साल पहले ही उड़ीसा में अग्रेजों के खिलाफ विद्रोह की शुरूआत की थी।
  • पाइका लगान मुक्त भूमि का उपयोग करने वाले सैनिक थे।
  • पाइका लोगों की युद्व पद्वति, जिसे ’पाइका अखाड़ा’ के नाम से जाना जाता है, प्राचीन कलिंग साम्राज्य से संबधित है तथा राजा खारवेल ने इसकी प्रशंसा की थी। उन्होंने खुरदा राज्य को जो सैन्य सेवाएं प्रदान की, उनके लिए उन्हें लगान-मुक्त भुमि दी गई।

चर्चा में

1857 के विद्रोह को देश में प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम माना जाता है हालाकिं 1817 में उड़ीसा में हुया Paika Rebellion ने पूर्वी भारत में ब्रिटिश साम्राज्य की जड़े कुछ समय के हिला कर रख दी थी। हाल ही में केन्द्र सरकार ने कहा है कि 1817 के Paika Rebellion को अगले शैक्षिक सत्र में इतिहास की पाठय पुस्तक में प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम के रूप में स्थान दिया जाएगा।

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