ढाई चाल लेखक नवीन चौधरी

राजनीति की अड़भंगी चाल में टंगड़ीमार राजनेता और पत्रकार हैं। सबकी बहुरंगी चाल पर कुठाराघात स्त्री के साथ हुआ बलात्कार है। जिससे ढाई चाल उपन्यास का पूरा वृत्तांत न केवल बदलता है, बल्कि रहस्य, रोमांच, उत्सुकता के चरमोत्कर्ष तक ले जाता है। ढाई चाल उपन्यास की मूल ध्वनि मानवीयता के पक्ष में पढ़ी गई रूबाइयों की तरह चौपाई मौजूद हैं। व्यावहारिक पहलू ने राक्षसपन की कलई खोली है। आदर्शवादी पुलिंदा के स्थान पर यथार्थवादी खुरदुरा सच अपने पूर्णाकार में है। राजनीतिक बिसात पर ठनी वर्चस्व की अपराधिक लड़ाई का कथा बिंबन, निरूपण, निक्षेपण, सजीव, जीवंत और कटू है। क्रूर चेहरे पर खुदे ठोस निर्लज्जता की टोह भी है।

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