Kanheri Caves

Kanheri Caves (कान्हेरी गुफा)

Kanheri Caves पश्चिमी घाटों की शान्त सुन्दरता के मध्य मुम्बई के संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान के जंगलों में रॉक-कट वास्तुकला (Rock-cut architecture) वाले बौद्ध स्मारकों का एक समूह हैं। इस गुफा का वर्णन सातवाहन शासक वशिष्ठपुत्र पुलुमावी के नासिक शिलालेख में मिलता है। इस गुफा का नाम प्राकृत में कान्हागिरी से लिया गया है।

  • Kanheri Caves का निर्माण बौद्ध भिक्षुओं द्वारा पहली और 9वीं/10वीं शताब्दी ईस्वी के मध्य किया गया था।
  • विदेशी यात्रियों के यात्रा वृतांतों में भी कान्हेरी गुफा का उल्लेख मिलता है। कान्हेरी गुफाओं का सबसे पहला सन्दर्भ चीनी यात्री फाह्यन (Fahien) का है, जो 399-411 ईस्वी के दौरान भारत आया था।
  • Kanheri Caves में 110 से अधिक विभिन्न एकाश्म चट्टानों का उत्खनन शामिल है तथा यह देश में सबसे बडंे एकल उत्खनन में से एक है। यह काली बेसाल्ट चट्टान को तराश कर बनाया गया है और बौद्ध भिक्षुओं के लिए एक शिक्षा का केन्द्र और तीर्थ स्थल रहा है।
  • Kanheri Caves में एक बड़ा विहार (प्रार्थना कक्ष) और स्तूप है। इनमें लगभग 109 बुद्ध विहार हैं, जिन्हें विशेष रूप से बौद्ध भिक्षुओं के लिए डिजाइन किया गया था।
  • इन गुफाओं मे बौद्ध धर्म के तीनों सम्प्रदायों हीनयान (Hinayana), महायान (Mahayana) और वज्रयान (Vajrayana) के कलात्मक प्रमाण विद्यमान हैं। इनमें बौद्ध मूर्तियां, नक्काशी, पेंटिंग और शिलालेख आदि विद्यमान हैं।
  • इस गुफा को सातवाहन, त्रिकुटक, वाकाटक और सिलहारा के शासकों का संरक्षण मिला।

गुफाओं का महत्व

  • Kanheri Caves भारत की प्राचीन विरासत का हिस्सा हैं, क्योंकि वे विकास और हमारे अतीत का प्रमाण प्रदान करती हैं।
  • ये गुफाएं तत्कालीन समाज में विद्यमान वास्तुशिल्प तथा कला, प्रबंधन निर्माण, धैर्य और दृढ़ता के बारे में ज्ञान को दर्शाती हैं।
  • यह एकमात्र ऐसा केन्द्र हैं, जहां बौद्ध धर्म और वास्तुकला की निरंतर प्रगति को दूसरी शताब्दी से लेकर 9वीं शताब्दी तक एक अखण्ड विरासत के रूप में देखा जाता है।

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