Rowlatt Act

Rowlatt Act

सरकार ने 1917 में बढ़ रही क्रांतिकारी गतिविधियां को कुचलने के लिए न्यायाधीश सिडनी रौलेट की अध्यक्षता में एक समिति को नियुक्त किया जिसे आतंकवाद को कुचलने के लिए एक प्रभावी योजनाकारी योजना का निर्माण करना था। केन्द्रीय विधान परिषद में 17 मार्च, 1919 को पारित हुए विधेयक को Rowlatt Act या रौलेट अधिनियम के नाम से जाना गया।

  • अंग्रेजी सरकार रौलेट अध्यनियम के द्वारा जिसे चाहे, जब चाहे, बिना मुकदमा चलाये जेल में बंद रख सकती थी, इसीलिए इस कानून को ’बिना वकील बिना अपील, बिना दलील का कानून’ कहा गया। इस एक्ट की प्रवृत्ति ही शोषणकारी थी।
  • प्रान्तीय सरकारों को इस एक्ट के अन्तर्गत किसी भी व्यक्ति के विरूद्ध बिना वारन्ट जारी किए गिरफ्तार करने और तलाशी लेने का अधिकार प्रदान किया गया।
  • इस एक्ट के अन्तर्गत एक विशेष न्यायालय का प्रावधान भी था जिसे ऐसी शक्ति प्रदान की गयी कि वह ऐसे साक्ष्यों को भी मान्यता प्रदान कर सकती थी जो कानून के दायरे से बाहर थे।
  • इस न्यायालय के विरूद्ध किसी अन्य न्यायालय में अपील दायर नहीं कर सकते थे।
  • भारतीय जनता ने रौलेट एक्ट को ’काला कानून’ कहकर विरोध किया।
  • Rowlatt Act की आलोचना करते हुए गांधी जी ने इसके विरूद्व सत्याग्रह करने के लिए सत्याग्रह सभा की स्थापना किया।
  • Rowlatt Act विरोधी सत्याग्रह के पहले चरण में स्वयं सेवकों ने कानून को औपचारिक चुनौती देते हुए गिरफ्तारियां दी।
  • 6 अप्रैल, 1919 गांधी जी के अनुरोध पर देश भर में हड़तालों को आयोजन किया गया, हिंसा की छोटी-मोटी घटनाओं के कारण गांधी जी का दिल्ली सहित देश के अन्य हिस्सों में गांधी का प्रवेश वर्जित कर दिया गया।
  • गांधी जी के दिल्ली में प्रवेश के प्रयास में गिरफ्तार कर लिया गया जिस कारण देश भर में आक्रोश बढ़ गया, जिस कारण गांधी जी को रिहा कर दिया गया।

बाहरी कड़िया   रौलट एक्ट क्या है?

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By admin

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