Pingali Venkayya

Pingali Venkayya

Pingali Venkayya एक स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी, भारत के राष्ट्रीय ध्वज के डिजाइनर और गांधीवादी सिद्धांतों के अनुयायी थे।

  • ब्रिटिश भारत के मद्रास प्रेसीडेंसी में स्थित भाटलापेनुमरू नामक गांव में उनका जन्म 2 अगस्त, 1876 को एक तेलगू ब्राह्मण परिवार में हुआ था।
  • Pingali Venkayya ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में स्वदेशी आन्दोलन सहित विभिन्न आन्दोलनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
  • कम्बोडिया कॉटन में शोध करने के कारण उन्हें पट्टी वेंकैया के नाम से भी जाना जाता था। पट्टी का अर्थ है कपास अर्थात कॉटन।
  • पिंगली जापान वेंकैया के रूप् में भी प्रसिद्ध थे क्योंकि वर्ष 1913 में उन्होंने आन्ध्र प्रदेश के बापटला के एक स्कूल में जापानी भाषा में एक व्याख्यान दिया था।
  • उनकी मृत्यु 4 जुलाई, 1963 को हुई।

राष्ट्रीय ध्वज का विकास

Pingali Venkayya ने वर्ष 1916 से लेकर 1921 तक दुनियाभर के कई देशों के झण्डों का अध्ययन किया। राष्ट्रीय ध्वज के Pingali Venkayya ने कई मॉडल तैयार किए, परन्तु इसकी शुरूआत उन्होंने वर्ष 1921 में डिजाइन किए गए एक ध्वज से की, जिसे महात्मा गांधी ने विजयवाडा में आयोजित कांग्रेस की बैठक में अनुमोदित किया।

  • इस ध्वज में लाल और हरे रंग की दो पट्टिया शामिल थी, ये दोनों पट्टिया दो प्रमुख धार्मिक समुदाय हिन्दू और मुस्लिम का प्रतिनिधित्व करती थी।
  • ध्वज में एक चरखा भी शामिल था जो स्वराज का प्रतिनिधित्व करता था। वेंकैया ने महात्मा गांधी की सलाह पर ध्वज के इस शुरूआती मॉडल में एक सफेद पट्टी जोड़ी जो शान्ति का प्रतिनिधित्व करती थी।
  • इस ध्वज के धार्मिक पहलू को लेकर वर्ष 1931 में चिन्ताएं व्यक्त की गई। इसी कारण इसको ध्यान में रखते हुए एक ध्वज समिति का गठन किया गया।
  • इस ध्वज समिति ने इस ध्वज में लाल रंग की जगह केसरिया रंग को शामिल किया और रंगों के क्रम को इस प्रकार रखा गया-ऊपर की ओर केसरिया, उसके बाद सफेद और सबसे नीचे हरा । सफेद पट्टी पर चरखे को मध्य में रखा गया।
  • इस प्रकार ध्वज के रंग समुदायों का प्रतिनिधित्व नहीं करते थे, बल्कि गुणों का प्रदर्शन करते थे, जिसमें केसरिया रंग साहस और बलिदान, सफेद रंग सत्य और शान्ति तथा हरा रंग विश्वास और शक्ति के प्रतीक के रूप में शामिल किये गए।
  • सफेद पट्टी में स्थित चरखा जनता के कल्याण को प्रदर्शित करता था।
  • स्वतन्त्रता के बाद, राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद के नेतृत्व में एक राष्ट्रीय ध्वज समिति ने चरखे के स्थान पर अशोक चक्र रखा।

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