Nagorno-Karabakh

Nagorno-Karabakh (नागोर्नो-काराबाख)

आर्मीनिया द्वारा हाल ही मई 2022 में Nagorno-Karabakh क्षेत्र को अतिरिक्त रियायतें प्रदान करने की घोषणा की गई। इसके परिणामस्वरूप, आर्मीनिया और अजरबैजान के बीच वर्षों से विवादित रहे नागोर्नो-काराबाख क्षेत्र को लेकर तनाब और बढ़ गया है। Nagorno-Karabakh क्षेत्र द्वारा सोवियत संघ के सितम्बर, 1991 में पतन के सम्भावना को देखते हुए स्वयं की स्वतन्त्रता की घोषणा कर दी गयी थी। इसके परिणामस्वरूप, अजरबैजान और Nagorno-Karabakh क्षेत्र के मध्य युद्ध हुया। इस युद्ध में Nagorno-Karabakh क्षेत्र को आर्मीनिया का समर्थन प्राप्त हुया था।

  • Nagorno-Karabakh क्षेत्र को अन्तराष्ट्रीय कानून के तहत अजरबैजान का भाग माना गया परन्तु वर्ष 1994 में समाप्त हुये युद्ध के पश्चात इस क्षेत्र में आर्मीनिया का कब्जा है। यह एक पहाड़ी क्षेत्र है जो काकेशस पर्वत श्रंखला के दक्षिणी भाग और आर्मीनियाई पर्वतीय मैदान के पूर्वी भाग के बीच स्थित है।
  • यहा के नागरिकों में अधिकांश जनसंख्या अर्मेनियाई मूल की है जो अजेरी शासन (अजरबैजान की कानूनी प्रणाली) को अस्वीकार करते हैं तथा आर्मीनियाई शासन प्रणाली के अनुसार संचालित होते हैं।
  • काकेशस क्षेत्र में अजरबैजान द्वारा बिछाई गयी गैस तथा तेल पाइपलाइनों में से कुछ पाइपलाइनें इस संघर्ष क्षेत्र के अत्यन्त करीब स्थित हैं। युद्ध की स्थिति में, इन पाइपलाइनों को लक्षित किया जा सकता है, जिससे बड़ी दुर्घटना घटित हो सकती है तथा यूरोप के अधिकांश क्षेत्रों में ऊर्जा की आपूर्ति भी प्रभावित होने की सम्भावना बन सकती है।

भारतीय परिपेक्ष्य के सन्दर्भ में Nagorno-Karabakh क्षेत्र

वर्ष 1995 में भारत एवं आर्मीनिया के बीच हुये एक मित्रता एवं सहयोग सन्धि के अनुसार भारत अजरबैजान को किसी भी प्रकार की सैन्य सहायता उपलब्ध नहीं करा सकता है। अजरबैजान अन्तराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन कॉरिडोर के मार्ग पर स्थित है। भारत के लिए यह कॉरिडोर बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि इस मार्ग के माध्यम से भारत, मध्य-एशिया के माध्यम से तुर्किए तथा रूस से जुड़ सकता है।

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