INS Vikrant

INS Vikrant

भारतीय नौसेना को अपना दूसरा एयरक्राफ्ट कैरियर मिल गया। INS Vikrant केवल आत्मनिर्भर भारत की अवधारणा को ही सशक्त नहीं करता है, बल्कि अपनी विशालता के साथ सागर में देश के स्वाभिमान का प्रतीक भी है।

इसका नाम भारत की पहले विमानवाहक युद्धपोत INS Vikrant के नाम पर रखा गया है। ब्रिटेन से भारत ने वर्ष 1957 में एचएमएस हरक्युलिस खरीदकर विमानवाहक पोत हासिल किया था, भारत ऐसा करने वाला पहला एशियाई देश था। इसी युद्धपोत को भारत ने INS Vikrant नाम दिया। जिसने 1971 के भारत-पाक युद्ध में जल सीमा पर नाकेबंदी की थी। INS Vikrant नाम का सम्बन्ध भगवत गीता से है। इसके पहले अध्याय के सोहलवें श्लोक में पांडवों के कुछ सेनानायकों को विक्रान्त कहा गया है। वि का मतलब विशिष्ट और क्रान्त का मतलब आगे बढ़ने वाला । आइएनएस विराट का नाम भी गीता से ही लिया गया है। विक्रान्त का सूत्रवाक्य ऋग्वेद से लिया गया है जिसका अर्थ है, मैं अपने खिलाफ युद्ध करने वालों पर विजय प्राप्त करता हूं।

स्वदेशी विक्रान्त के साथ भारत को हर मैजेस्टीज शिप यानी एचएमएस नाम से भी मुक्ति मिल गयी है जो ब्रिटेन की महारानी के नाम का संकेत था। भारत के पुराने INS Vikrant का असली नाम एचएमएस हरक्युलिस था जबकि आइएनएस विराट का नमा एचएमएस हर्म्स था। पहले इन्हें एचएमएस के स्थान पर आइएनएस नाम दे दिया जाता था, लेकिन अब नए विक्रान्त के साथ भारत असल में आइएनएस बनाने में सक्षम हो गया है।

सागर में उतरा भारत के स्वाभिमान की खासियत

  • INS Vikrant में 1000 फायर सेंसर और 700 फ्लड सेंसर लगें हैं। इसका आपरेशन रूम किसी वार रूम से कम नहीं है। यही से तय किया जाता है कि किस एयरक्राफ्ट को टेकआफ करना है, किस हथियार का प्रयोग किया जाएगा और कैसी रणनीति से आपरेशन चलेगा।
  • शिप कंट्रोल सिस्टम अत्याधुनिक और जटिल है। इसके मुख्य इंजनों से 120 फार्मूला वन कारों के बराबर ऊर्जा निकलती है।
  • 85 प्रतिशत लागत राशि देश के रोजगार सृजन व कम्पनियों के मुनाफे के रूप में लौट आई
  • 1500 टन विशेष किस्म के स्अील का इस्तेमाल इसके निर्माण में किया गया हैं।
  • 2500 किमी इसमें लगे बिजली के तारों की लम्बाई है, जो कोच्चि से दिल्ली की दूरी है।
  • 40,000 से ज्यादा लोागों को इसके निर्माण के दौरान अप्रत्यक्ष तौर पर रोजगार मिला।
  • प्रथम स्थान पर अमेरिका है। अमेरिका को विश्व की सबसे शक्तिशाली ब्लू वाटर नेवी माना जाता है। जबकि 7वां स्थान भारत का ग्लोबल नेवल पावर रैकिंग 2022 में हैं।
  • 2022 की ग्लोबल नेवल पावर रैकिंग में चीन द्वितीय स्थान पर है।
  • 100 से अधिक एमएसमई इकाइयों ने विक्रान्त के निर्माण में सहयोग किया है।
  • एक दशक से कुछ अधिक समय में बने इस युद्धपोत पर मौजूद नौसेनिकों के लिए 16 बेड का आधुनिक सुविधाओं वाला अस्पताल भी है। इस अस्पताल में आपरेशन थिएटर के साथ ही एमआरआई, सीटी स्कैन व अन्य जांचों आदि की भी की सुविधा है।
  • INS Vikrant पर विमान व हेलिकाप्टर तैनात किए जा सकते है और इसके संचालन के लिए 1600 कर्मी रहेेगें।
  • इस पोत में इतनी बडी संख्या में कर्मियों के लिए पोत पर एक अत्याधुनिक रसोई भी है जिसमें मशीनों से प्रतिघंटे 3,000 रोटियां बनाई जा सकती है।

भारतीय नौसेना का नया ध्वज, शिवाजी महाराज की राजमुद्रा से प्रेरित

भारतीय नौसेना को एक और स्वदेशी पहचान मिल है। यह पहचान है नए ध्वज व नए निशान की, जो भारतीय नौसेना को मिली।। नौसेना ने गुलामी के प्रतीक क्रास को हटाकर उसके स्थान पर छत्रपाति शिवाजी महाराज की राजमुद्रा के प्रतीक को ध्वज में स्थान दिया गया है। नए ध्वज में बाई तरफ ऊपर राष्ट्रध्वज और दाहिनी तरफ अष्टकोण में नीले रंग के आधार पर सुनहरें रंग में अशोक स्तम्भ व ध्येय वाक्य समेत नौसेना के निशान को प्रदर्शित किया गया है। यह अष्टकोण जो आठ दिशाओं को प्रतीक है, महाराज छत्रपति शिवाजी की राजमुद्रा से प्रेरित है।

  • 1950 में पहली बार बदला था ध्वजः आजादी से पहले भारतीय नौसेना के ध्वज में सेंट जार्ज का क्रास व ब्रिटिश ध्वज था। 1950 में ब्रिटिश झण्डे के स्थान पर तिरंगे को स्थान दिया गया जबकि क्रास को नहीं हटाया गया।
  • 2001 में हटाया गया क्रासः राजग सरकार ने अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में पहली बार 2001 में ध्वज से क्रास हटाकर दाएं हिस्से में नीले रंग में नौसेना के निशान को जगह दी। नौसेना के निशान का यह कहकर विरोध हुया कि उसका नीला रंग आसमान एवं समुद्र के नीले में रंग में खो जाता है। 2004 में क्रास की वापसी हुयी। हालाकि अशोक स्तम्भ को क्रास के बीच में स्थान दिया गया था।
  • 2014 में एक और बदलावः नौसेना ध्वज में 2014 में फिर बदलाव किया गया और अशोक स्तम्भ के नीचे सत्यमेव जयते लिखा गया था।

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By admin

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