देह कुठरिया (Deh Kuthariya)-जया जादवानी सेतु प्रकाशन, नोएडा

हमारे समाज में वर्गीकृत विभाजन की परिपाटी में सबका अपना एक स्पेस है। हकबंदी की लड़ाई के लिए कानूनी महकमा है, लेकिन थर्ड जेंडर के संदर्भ में परिवार, लोग, घर, समाज, कानून सब दोयमदर्जे की श्रेणी में खडे़ होते हैं। देह कुठारिया उपन्यास सामाजिक उपेक्षा का शिकार रहें हैं किन्नर मानव समूह से जोड़ता है । थर्ड जेंडर का संकट सदैव एकाकी, अनवरत, असहाय, आत्मपीड़ा और भूख की ड्योढी पर नर्तन, मर्दन और मंथन के तराजू पर दम तोड़ देता है। देह कुठारिया (Deh Kuthariya) उपन्यास का किरदार जो अलग-अलग वक्त में अलग-अलग नाम से दर्ज है, कसक के साथ प्रकट होता है। अस्वीकार की मरूभूमि पर बंूद-बंूद सम्मान के टोह में भटकता मन-मस्तिष्क है। यह उपन्यास विचलित करता है।

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थर्ड जेंडर समस्या नहीं सोच की वजह से उपेक्षित है।यह उपन्यास ट्रांसजेन्डर पर लिखा गया है जो कि आज तक सबसे प्रमाणिक उपन्यास है। जीवित चरित्रांे पर लिखी गयी यह उपन्यास मन को हिला कर रख देती है। यह उपन्यास किन्नर समाज का त्रासद यथार्थ प्रस्तुत करता है। देह कुठारिया पठनीय और विचारणीय है।

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