ताले में शहर-मीरा कान्त, हिन्द युग्म, नोएडा

इत्मीनान की चादर ओढ़कर, कांधे पर सुकून का पट्टा लपेटकर, माथे के शिकन को फैलाकर मिथक के द्वार से इतिहास की गलियों में दस्तक देने की अलग शैली रचने वाली कथाकार हैं मीरा कांत। पांच कहानियों का संग्रह संगठित जनमानस का वृदंगान है। सुनी-अनसुनी के स्थान पर देखे और भोगे सच का बयानदर्जी है। ‘ताले में शहर‘ मानव चेतना, चिन्ता की कहानी है जिसमें हवसी बने इंसान के मानसिकता का पोस्टमार्टम बड़ी मखमली शैली में किया गया है। तकनीक भी टकराहटें कराती है। नई कहानियों के तेवर प्रभावित ही नहीं करते हैं काफी हद तक अपनी रायशुमारी में शामिल करने के लिए विवश भी करते हैं।

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