उषा राय मानवीय बोध, सरोकार, सहजता, सचेतन और दिग्दर्शक की शैली की कथारचक हैं। शीर्षक कहानी हवेली (Haveli) जर्जर हवेली का किस्सा नहीं है वस्तुतः उसकी उपस्थिति के बरक्स मानवीय मानसिकता का बारीक जायजा लिया है। ‘एक और सुनामी‘ में अन्तरजातीय विवाह से उत्पन्न संकटों पर रोशनी डाली है। तीन पीढ़ियों की कहानी कहने का हुनर ‘डबरे का पानी‘ में मिलता है, वहीं ‘नमक की डली‘ टटका आस्वाद से भरपूर और लीक से इतर किस्सा कहती हैं। लेस्बियन सम्बन्धों पर बहुतेरी कहनियां लिखी गई हैं, लेकिन उनकी कहानी में भावभूमि के जद्दोजहद की गहन अन्तरयात्रा मिलती है। 11 कहानियों के मध्य में ‘तन चन्दन मन हरसिंगार‘ की पल्लवित पुष्पित मनोवृत्ति की सूक्ष्म संवेदना सहज बांध लेती है।
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