सामाजिक एंव सांस्कृतिक जागरण
  • जहाँ भारत पर आक्रमण करने वाले विदेशियों ने कई बार भारत को पराजित किया और यहां पर शासन किया, ने भारतीय सभ्यता,संस्कृति और धर्म को स्वीकार किया तथा यहाँ के समाज के अभिन्न हिस्से बन गये, वही अंग्रेज आक्रान्ता अपनी सभ्यता और संस्कृति को भारतीय पर थोपने में कामयाब हुए।
  • 18वीं शाताब्दी के यूरोप में जगरण के युग की शुरूआत हुई ।तर्कवाद तथा अन्वेषण की भावना ने तत्कालीन यूरोपीय समाज को प्रगति का पथ दिखाया। जिस पर चल कर यूरोप सभ्यता का अग्रणी महाद्वीप बन सका। दूसरी और भारत अपने अंधविश्वास तथा कुरीतियों के कारण एक निश्चल, निष्प्राण तथा गिराते हुए समाज का चित्र प्रस्तुत कर रहा था।
  • बंगाली बुद्धिजीवियों में राजा राजमोहन राय और उनके अनुयासी ऐसे पहले बुद्धिवादी थे जिन्होंने पश्चात्य संस्कृति का अध्ययन करते हुए उसके बुद्धिवादी एंव प्रजातांत्रिक सिद्धान्तों, धारणाओं, भावनाओं को आत्मसात किया।
  • प्रगतिशील बुद्धिजीवियों को ही भारत में सामाजिक एंव सांस्कृतिक जागरण के पथ-प्रदर्शक तथा आधुनिक भारत का निर्माता माना जाता है।

कारण

  • अंग्रेजी शासन की स्थापना ने भारत के राजनीतिक, आर्थिक सामाजिक एंव सांस्कृति जीवन को गहराई से प्रभावित किया, परिणामस्वरूप बौद्धिक विकास के लिए अनुकुल परिस्थितंया बनी।

राजाराम मोहन राय और ब्रहम समाज

  • राजा राजमोहन अपने धार्मिक, दार्शनिक और सामाजिक दृष्टिकोण में इस्लाम के एकेश्वरवाद, सुफीमत के रहस्यवाद, ईसाई धर्म की आचार शास्त्रीय नीतिपरक शिक्षा और पश्चिम के आधुनिक देशों के उदारवादी बुद्धिवादी सिद्धान्तों से काफी प्रभावित थें । उन्होंने सामाजिक एवं सास्कृतिक जागरण महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • 1809 में राजा राजमोहन की फारसी भाषा की पुस्तक तुहफात – उल् – मुवाहिदीन (एकेश्वरवादियों को उपहार ) का प्रकाशन हुआ।
  • 1815 में हिन्दू धर्म के एकेश्वरवादी मत के प्रचार हेतु राजा राममोहन राय ने आत्मीय सभा का गठन किया जिसमें द्वारिकानाथ ठाकुर भी शामिल थे।
  • 1829 में भारत के गवर्नर-जनरल बैंटिक द्वारा सती प्रथा को प्रतिबंधित करने के लिए लाये गये कानून को लागू करवाने में राममोहन राय ने सरकार को मदद की।
  • 1820 में राजा राजमोहन राय की पुस्तक ईसा के नीति वचन- शांति और खुशहाली का प्रकाशन हुआ। इसमें ईसाई धर्म की सहजता और नैतिकता के बारे में राय के दृढ़ विश्वास का दर्शन होता है।
  • 1821 में राय अपने विचार प्रेस के माध्यम से लोगों तक पहुंचाने के उदेश्य से संवाद कौमुदी अथवा  प्रज्ञाचांद का प्रकाशन किया।
  • फारसी भाषा में राय ने मिरातुल अखबार का भी प्रेकाशन किया।
  • 20 अगस्त, 1828 को राजाराम मोहन राय ने ब्रहा समाज की स्थापना की।
  • ब्रहम समाज की स्थापना का उदेश्य था एकेश्वरवाद की उपासना, मूर्तिपूजा का विरोध, पुरोहितवाद का विरोध, अवतारवाद का खण्डन आदि।
  • 1817 में कलकत्ता में हिन्दू कालेज की स्थापना में राय ने डेविड हेयर का सहयोग किया।
  • सुभाष चन्द बोस ने राजा राममोहन राय को युगदूत की उपाधि से सम्मानित किया था।
  • राममोहन को राय की उपधि बंगाल के नवाब तथा राजा की उपधि उत्तरवर्ती मुगल बादशाह अकबर द्वितीय ने प्रदान किया था।
  • राजा राममोहन राय की मृत्यु के बाद ब्रहम समाज की गतिविधियों का संचालन कुछ समय तक महर्षि द्वारिकानाथ टैगोर और पंडित रामचंद विघा वागीश के हाथों में रहा।
  • ब्रहम समाज में शामिल होने से पहले देवेन्द्रनाथ के कलकत्ता के जोरासांकी में तत्वरंजिनी सभा की स्थापना की थी। कालातंर में तत्वरंजिनी ही तत्व बोधिनी सभा के रूप् में अस्तित्व में आई।
  • देवेन्द्रनाथ टैगारे ने 1857 के केशवचन्द सेन को ब्रहम समाज की सदस्यता प्रदान करते हुए समाज का आचार्य नियुत्क किया।
  • 1861 में केशव ने इण्डियन मिरर नामक अंग्रेजी के प्रथम भारतीय दैनिक का संपादन किया।
  • 1865 में ब्रहा समाज में पहला विभाजन हुआ । विभाजित समाज के वाले समूह ने अपने को आदि ब्रहम समाज  कहा । आदि ब्रहा समाज का नारा था कि ब्रहमवाद ही हिन्दूवाद है ।
  • आचार्य सेन के नेतृत्व वाले गुट ने अपने को भारत वर्षीय ब्रहम समाज का नाम दिया।
  • 1872 में आचार्य केशव ने सरकारा को ब्रहम विवाह अधिनियम को कानूनी दर्जा दिलवाने हेतु तैयार कर लिया । आचार्य सेन ने पश्चिमी शिक्षा के प्रसार स्त्रियों के उद्धार, स्त्रिी शिक्षा आदि सामाजिक कार्यो के लिए इण्डियन रिफार्म एसोसिएशन की स्थापना की।

प्रार्थना समाज

  • आचार्य केशवचन्द की महाराष्ट्र यात्रा से प्रभावित होकर महादेव गोविन्द रानाडे और डॉ0 आत्माराम पाण्डुरंग ने 1867 में बम्बई में प्रार्थना समाज की स्थापना की। जी0आर0 भंडारकर भी इस समाज के अग्रणी नेताओं में से थे।
  • 1871 में रानाडे ने सार्वजनिक समाज की स्थापना की इन्हें अपनी प्रचण्ड मेधाशत्कि के कारण महाराष्ट्र का सुकरात भी कहा जाता था।
  • महादेव गोविन्द रानाडे ने शुद्धि आंदोलन को प्रारम्भ किया, जिसे अखिल भारतीय स्वरूप प्राप्त हुआ।
  • भारतीयों में शिक्षा के प्रसार और अज्ञानता के विनाश के उदेश्य से रानाडे ने 1884 में डक्कन एजूकेशन सोसाइटी की स्थापना की। इसी सोसाइटी को कालातंर में पूना फर्ग्युसन कालेज का नाम दिया गया।

वेद समाज

  • केशव चंद सेन की मद्रास यात्रा के समय एक तरूण युवक के0 श्रीधरलू नायडू ने मद्रास में वेद समाज की स्थापना की।

आर्य समाज और स्वामी दयानंद सरस्वती

स्वामी दयानंद द्वारा लिखी गई महत्वपूर्ण रचनायें इस प्रकार है –

सत्यार्थ प्रकाश(1874 संस्कृत)

पाखण्ड खण्डन(1866)

वेदभाष्य भूमिका (1876)

ऋग्वेद भाष्य(1877)

अद्वैत मत का खण्डन (1873)

  • 1875 में स्वामी दयानन्द सरस्वती ने बम्बई में आर्य समाज की स्थापना की। कुछ समय पश्चात आर्य समाज का मुख्यालय लाहौर में स्थापित किया।
  • दयानन्द सरस्वती ने वेदों की ओर लौटो का नारा दिया
  • आर्य समाजियों ने सामाजिक एंव सांस्कृतिक जागरण, छुआछूत, जातिभेद, बाल विवाह का विरोध किया तथा पुनर्विवाह तथा अन्तर्जातीय विवाह का समर्थन किया।
  • आर्य समाजियों ने शुद्धि आन्दोलन चलाया। इसके अन्तर्गत हिन्दू धर्म का परित्याग कर अन्य धर्म अपनाने वाले लोंगों के लिए पुनः धर्म वापसी के द्वार खोल दिए।
  • 1892-93 में आर्य समाज दो गुटों में बंट गया जिसमें एक गुट पाश्चात्य शिक्षा का विरोधी तथा दूसरा पाश्चात्य शिक्षा का समर्थक था। (मांसाहार बनाम शाकाहारी)
  • पाश्चात्य शिक्षा के समर्थकों में हंसराज और लाला लाजपत राय थे। इन लोगों ने दयानंद एंग्लो वैदिक कालेज (1889) की स्थापना की।

यंग बंगाल आंदोलन

  • बंगाल में इस आंदोलन की शुरूआत विलक्षण प्रतिभा के धनी हेनरी विवियन डेरेजियो द्वारा किया गया। 1809 ई0 में जन्मे डेरेजियो 1826 में कलकतता एक घड़ी विक्रेता के रूप में आये।
  • बंगाल युवा आंदोलन के मुख्य मुदे थे-प्रेस की स्वंतत्रता, जमींदारों के अत्याचारों से रैययतों  की सुरक्षा, सरकारी उच्च सेवाओं में भारतीयों को रोजगार दिलाना आदि।

स्वामी विवेकानंद तथा रामकृष्ण मिशन

  • 1893 में अमेरिका के शिकागो शहर में आयोजित विश्व धर्म सम्मेलन में स्वामी जी ने भारत का नेतृत्व किया। इस सम्मेलन में जाने से पूर्व ही नरेन्द्रनाथ का नाम बदल कर महाराज खेतड़ी के सुझाव पर स्वामी विवेकानन्द रख दिया गया।
  • 11 सितम्बर 1893 में शिकागो धर्म सम्मलेन में बोलते हुए स्वामी जी ने कहा जिस प्रकार सारी धारायें अपने जल को सागर में लाकर मिला देती है उसी प्रकार मुनष्य के सारे धर्म ईश्वर की ओर ले जाते है। उन्होंने कहा कि “पृथ्वी पर हिन्दू धर्म के समान कोई भी धर्म इतने उदात्त रूप् में मानव की गरिमा का प्रतिपादन नहीं करता।“
  • 1896 में स्वामी जी ने अमरीका में वेदान्त सभाओं की स्थापना की ।
  • रामकृष्ण मिशन का कलकत्ता के वेल्लूर और अल्मोड़ा के मायावती नाम स्थानों पर मुख्यालय खोला गया।

थियोसॉफिकल सोसाइटी और एनी बेसेन्ट

  • 1857 ई0 में मैडम ब्लावत्सकी तथा कर्नल आल्कॉट ने न्नयूयार्क थियोसॉफिकल सोसाइटी की स्थापना की।
  • थियोसॉफी (ब्रहम विघा) हिन्दू धर्म के आध्यात्मिक दर्शन और उसके सिद्धान्त तथा आत्मा के पुनर्जन्म सिद्धान्त का समर्थन करती है।
  • 1882 ई0 में थियोसॉफिकल सोसाइटी का आड्यार (मद्रास) में कार्यालय खोला गया।
  • भारत में शिक्षा के क्षेत्र में विकास के लिए एनी जी ने बनारस में 1898 में सेन्ट्रल हिन्दू कालेज की स्थापना की जो 1916 में मदनमोहन मालवीय जी के प्रयासों से बनारस हिन्दू विश्वविघालय बना।

अन्य धार्मिक आंदोलन

  • देव समाज की स्थापना 1887 में शिवनारायण अग्निहोत्री ने लाहौर में किया । इस समाज के उपदेश देवशास्त्र नामक पुस्तक में संकलित है ।
  • राधास्वामी आंदोलन की स्थापना शिवदयाल साहिब अथवा स्वामी महाराज (तुलसीदास) द्वारा 1861 में आगरा में किया गया।
  • सेवासदन नामक सामाजिक सुधार तथा मानवतावादी संगठन की स्थापना 1885 में बहराम जी मालाबारी (पारसी) ने की।
  • भारतीया सेवक समाज की स्थापना 1915 में समाज सुधार के उदेश्य से गोपालकृष्ण गोखले ने की।
  • रहनुमाये मज्दयासन सभी पारसी सुधार आंदोलन से जुड़ा था इस संस्था की स्थापना 1851 में नौरोजी फरदोनजी, दादा भाई नौरोजी तथा एस0 एस0 बंगाली ने की।
  • रहनुमाये मज्द्यासन सभा ने राफ्त गोफ्तार (सत्यवादी) नामक पत्रिका का प्रकाशन किया।

मुस्लिम सुधार आंदोलन

  • 1857 के विद्रोह में मुसलमानों की सक्रिया भगीदारी के कारण सरकार द्वारा उनके दमन से मुस्लमानों की स्थिति छिन्न-भिन्न होने लगी। ऐसे समय में ही सर सैययद अहमद खां (1817-98) का पदार्पण हुआ।
  • 1870 के बाद प्रकाशित डब्लू हण्टर की पुस्तक इण्डियन मुसलमान में सरकार को यह सलाह दी गई थी कि वह मुसलमानों से समझौता कर उन्हें कुछ रियायतें देकर अपनी और मिलाये।
  • 1864 में सर सैययद अहमद ने साइंटिफिे सोसाइटी तथा 1875 में अलीगढ़ मुस्लिम- एंगलो ओरिएंटल कालेज की स्थापना की।

देवबंद आंदोलन

  • मुहम्मद कासिम ननौतवी एंव रशीद अहमद गंगोहो ने 1867 में देवबंद (उ0 प्र0) में इस्लामी मदरसे की स्थापना की। इसी मदरसे से कुरान एवं हदीस की शुद्ध शिक्षा का प्रसार करने तथा विदेशी शासनों के खिलाफ जिहाद का नारा देने के उदेश्य से दारूल-उलूम या देवबंद आंदोलन की शुरूआत हुई।
  • देवबंद स्कूल के समर्थकों में शिवलीनूमानी (1857-1914) फारसी और अरबी लब्धप्रतिष्ठित विद्वान और लेखक थे।
  • शिवली महोदय ने 1984-85 में लखनऊ में नदवतल उलमा तथा दारूल उलूम की स्थापना की। शिवलीनूमानी कांग्रेस के प्रशंसकों में से थे, इन्होंने भारत के प्रति निष्ठा का प्रदर्शन किया ।

अहमदिया आंदोलन

  • अहमदिया आंदोलन की स्थापना 1889 ई0 में मिर्जा गुलाम अहमद (1838-1909) ने किया ।इस आंदोलन का उदेश्य मुसलमानों में आधुनिक बौद्धिक विकास के सन्दर्भ में धर्मापदेश और नियमों को उदार बनाना था।

19वीं सदी के सामाजिक सुधार

  • लार्ड विलियम बैंटिक के समय 1829 में नियम 17 के तहत सती प्रथा को प्रतिबंधित कर दिया गया।
  • विधवा पुनर्विवाह की स्थिति में सुधार लाने के लिए ईश्वरचंद विघासागर ने अर्थक प्रयत्न किया। 1855 में विघासागर ने ब्रिटिश सरकार से विधवा पुनर्विवाह पर कानून बनाने का अनुरोध किया।
  • 1856 के विधवा पुनर्विवाह अधिनियम द्वारा विधवा विवाह को वैध करार देते हुए इनसे पैदा होने वाले बच्चों को वैध माना गया।
  • 1906 में कर्वे महोदय ने बम्बई में प्रथम महिला विश्वविघालय की स्थापना की।
  • 1872 में नेटिव मैरिज एक्ट (सिविल मैरिज एक्ट) द्वारा अन्तर्जातीय विवाह को मान्यता प्रदान कर दी गई ,साथ ही बाल विवाह का विरोध किया गया।
  • तिलक ने एच आफॅ कंसेट एक्ट का विरोध करते हुए इसे भारतीय सामाजिक मामलों में विदेशी हस्तक्षेप माना।
  • 1930 में एच आफॅ कंसेट एक्ट (1891) को संशोधित कर शारदा एक्ट नाम दिया गया जिसके अन्तर्गत विवाह की आयु को 14 वर्ष (लड़की) और 18 वर्ष (लड़के) निर्धारित किया गया।
  • अधिकारिक तौर पर 1854 के चार्ल्सवुड डिस्पैच मे पहली बार स्त्री शिक्षा पर बल दिया गया।
  • प्रो0 कर्वे महोदय ने 1916 में पुणे भारतीय महिला विश्वविघालय की स्थापना की।
  • 1926 में अखिल भारतीय महिला संघ की स्थापना।
  • दास प्रथा पर पूर्ण प्रतिबंध अंग्रेजी सरकार ने 1833 के चार्टर एक्ट द्वारा लगा दिया, 1843 में समुचे भारत में दासता को अवैध घोषित कर दिया गया।
समाजिक सुधार अधिनियम: एक नजर में

अधिनियम                         वर्ष                  गवर्नर जनरनल                         विषय

1- सतीप्रथा प्रतिबंध          1829            लार्ड विलियम बैंटिक            सती प्रथा पर पूर्ण प्रतिबंध

2 –शिशु बध प्रतिबंध      1785-1804        वेलेजली                            शिशु हत्या पर प्रतिबंध

3 –हिन्दू विधवा प्रतिबंध    1856                 लार्ड कैनिंग                    विधवा विवाह की अनुमति

4    नैटिव मैरिज एक्ट       1872              नार्थबुक                           अन्तर्जातीय विवाह

5    एज ऑफ कंसेट एक्ट   1891             लैसडाउन              विवाह की आयु 12 वर्ष लड़की के लिए निर्धारित

6    शारदा एक्ट               1930             इरविनं                विवाह की आयु 18 वर्ष लड़के के लिए निर्धारित

7      दास प्रथा पर प्रतिबंध 1843            एलनबरो    1833 के चार्टर अधिनियम द्वारा 1843 में दासता को                                                                   प्रतिबंधित कर दिया गया।

निम्न जाति आन्दोलन

  • 1932 में गांधी जी ने अखिल भारतीय अस्पृश्यता निवारण संघ की स्थापना की जिसे 1933 में हरिजन सेवक संघ बना दिया गया।
  • डॉ बी0 आर0 अम्बेडकर ने हरिजनों के कल्याण एवं अछूतोद्धार हेतु 1924 में अखिल भारतीय दलित वर्ग की स्थापना की तथा 1927 में बहिष्कृत भारत नामक पाक्षिक पत्रिका का   प्रकाशन किया।
  •  सी0 एन0 मुदालियार, टी0 एम0 नायर, पी0टी0 चेन्नी ने दक्षिण में जस्टिस पार्टी की स्थापना की।
  • सत्यशोधक समाज की स्थापना ज्योतिबा फुले द्वारा 24 सितम्बर 1873 में किया गया, यह आन्दोलन दलितों एवं निम्न जाति के लोगों के कल्याण के चलाया गया था। इन्होंने  सत्यशोधक समाज नामक पुस्तक लिखी।
  • 1931 में कांग्रेस के कराची अधिवेशन में पारित मूल अधिकारों के घोषणा पत्र में जाति-पाति की जगह समानता की बात की गयी।

वायकोम सत्याग्रह-

केरल में वायकोम (त्रावणकोर) नामक गांव में मन्दिर प्रवेश को लेकर सर्वप्रथम आन्दोलन हुआ। श्री नारायण गुरू ने आन्दोलन का समर्थन किया।

गुरूवायूर सत्याग्रह-

दलितों और पिछडों के मन्दिर प्रवेश को लेकर केरल में गुरूवायर सत्याग्रह के0 केलप्पण के नेतृत्व में हुआ।

धामिक तथा सामजिक सुधार आंदोलन

सभा             स्थान                 संस्थापक

1-आत्मीय सभा    बंगाल      राजा राममोहन राय, ज्योतिबा फुले

2-ब्रहम समाज      बंगाल            राजा राममोहन राय

3- हिन्दू कालेज     कलकत्ता          डेविड हेयर

4- त्त्वबोधनी सभा    बंगाल          देवेन्द्र नाथ टैगोर

5-प्रार्थना समाज      महाराष्ट्र      महादेव गोविन्द रानाडे

6-आर्य समाज       बम्बई        स्वामी दयानंद सरस्वती

7-रामकृष्ण मठ      कलकत्ता        स्वामी विवेकानंद

8- थियोसोफिकल सोसायटी   अड्यार (मद्रास) मैडम ब्लाबटस्की

9-सेन्ट्रल हिन्दू कालेज  बनारस        एनी बेसेन्ट

10-मुस्लिम एंग्लो ओरियन्टल   अलीगढ़   सैयद अहमद खां

11-गुरूवायूर  सत्याग्रह         केरल        के0 कलप्पण

12-जस्टिम पार्टी           दक्षिण      मुदियार, टी0एम0

By admin

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