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Anarkali
लैला-मजनु, शीरी-फरहाद, सस्सी-पन्नू जैसे सदाबहार आख्यानों की तरह एक ऐसा किस्सा जो बचपन से सुनते आ रहें हैं सलीम और Anarkali की प्रेम कहानी। मुगल शासन के उत्तराधिकारी सलीम (जो बाद में जहांगीर के नाम से मशहूर हुए) के साथ मुगल शाही दरबार की सबसे मशहूर नर्तकी अनारकली की दिलचस्प और रहस्यमयी दास्तान जो पीढ़ियों से प्रेम और विरह की प्रतीक के रूप में आज भी लोगों के दिलों में जीवित है। इसके ऐतिहासिक साक्ष्य तो विवादित हैं, फिर भी अनारकली के इस वृतान्त ने बरसों से लोककथाओं, नाटकों और फिल्मों के जरिए आज भी अपना वजूद कायम रखा है।
किंवदंती है कि मुगल शासक अकबर ने अनारकली को यह नाम उसकी सुन्दरता और आर्कषण से प्रभावित होकर दिया था। प्रसिद्ध लेखक और सिनेमा संग्रह सुमन्त बत्रा का ‘‘Anarkali’’ ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर आधारित ऐसा काल्पनिक उपन्यास है। इस उपन्यास में अनारकली को प्रेम कहानी की बेड़ियों से परे एक जीवन और अस्तित्व प्रदान करने का भरपूर प्रयास किया गया है।
मान्यतानुसार चार शताब्दियों पहले घटी Anarkali की प्रेम गाथा इतिहास के पन्नों पर बिखरी स्याही की उन बूदों की तरह है, जो स्पष्ट रूप से दिखाई तो नहीं देती, लेकिन जिनका प्रभाव इतिजहास के हर पन्ने पर गहराई से महसूस किया जा सकता है। इम्तियाज अली ताज के नाटक अनारकली (1992) में इस प्रेम कहानी का उल्लेख किया गया, जिसमें अकबर ने इस सम्बन्ध को अनुचित करार देकर अनारकली को जिन्दा दीवार में चुनवा दिया था। वही फिल्म्कार के आसिफ की फिल्म ‘‘मुगल-ए-आजम’’ ने इस कहानी के अन्त को बदल दिया, जिसमें अनारकली की मां अकबर को अपना पुराना वादा याद दिलाकर उसकी जान बचाने में सफल होती हुयी थी।
Anarkali and Salim
कुछ किस्सों-कहानियों में दर्ज है कि अनारकली की हत्या, साजिश के तहत जहर देकर की गई थी। जबकि कुछ में उसकी बीमारी से मृत्यु का जिक्र है। कई जगह यह भी मिलता है कि अनारकली की हत्या के लिए स्वयं सलीम जिम्मेदार थे, वहीं कुछ लोग अनारकली को ऐतिहासिक पात्र मानते हैं, जबकि अन्य इसे एक आधी-अधूरी किंवदंती, कल्पित चरित्र या मिथक बताते है। Anarkali के अस्तित्व और प्रेमकथा पर जिनका विश्वास है, वे लाहौर के मकबरे पर खदे शिलालेख पर आधारित तर्क देते हैं, जिसे जहांगीर ने उनकी स्मृति स्वरूप बनवाया था। लाहौर का मशहूर अनारकली बाजार भी अनारकली से सम्बन्धित है।
हालांकि, अधिकांश इतिहासकार इस प्रेमकथा को नकारते हुए कहते हैं कि जहांगीर नूरजहां से बेहद प्रेम करते थे। उनकी आत्मकथा ‘जहांगीरनुमा’ की एकमात्र प्रेमिका नूरजहां का ही जिक्र है। इस शोधपरक उपन्यास में अनारकली की रहस्य और कल्पना के धुंधलके में लिपटे मुगल साम्राज्य की सामाजिक संरचना में अनारकली के अनसुलझे जीवन चरित्र और ऐतिहासिक दास्तान के साथ उनके अचानक गायब होने की गुत्थी को बेहद कुशलता से सुलझाने की कोशिश करता है।
इस पुस्तक के कुल 26 अध्याय है जिसकी शुरूआत 21 वीं शताब्दी के लन्दन में रहीम सल्लालुद्दीन खान के काम की खोज के साथ होती है। पुस्तक के पहले अध्याय ‘द प्राफेसी’ में जहांनुमा द्वारा नादिरा को जन्म दिए जाने के बाद जश्न पर काबुल के ज्योतिषी की भविष्यवाणी का जिक्र है-दृढ़ इच्छाशक्ति वाली और शुद्ध हद्य की महिला बनेगी। भाग्य उसे चुनौती देग, लेकिन वह अपना भाग्य खुद तय करेगी। वह नाम कमाएगी, लेकिन समय उसके प्रति दयालु नहीं होगा’। यह पाठकों का नादिरा के जीवन की एक जटिल और चुनौतीपूर्ण यात्रा की ओर इंगित करता है।
यह पुस्तक एक छोटी सी लड़की नादिरा अली के उस दौर में अपने अस्तित्व को बचाए रखने की जद्दोजहद के साथ आगे बढ़ती है, जो बाद में दुनिया के लिए Anarkali के रूप में विख्यात होती है। मुगल बादशाह अकबर और राजकुमार सलीम के रिश्ते, सलीम के विद्रोह और सलीम-अनारकली के बीच प्रेम-सम्बन्ध, मुगलों के शाही क्रियाकलाप और जीवनचर्या, जोधा की कहानी, मुगल दरबार का वैभव, स्मारक, पहनावे, बातचीत का तरीका, रस्मों-रिवाज, रहन-सहन के कौतुक, यात्राएं, नृत्य की गतिविधियों को दर्शाती काव्यात्मक शैली, पात्रों की रूपरेखा को बेहद कुशलता से गढते हुए लेखक ने एक कहानी के माध्यम से उस शाही युग को इस उपन्यास में जीवन्त बनाया है।
पुस्तक के अध्याय ‘द वेल आफ हरम’ आश्चर्य और संकोच से भरी जहांनुमा के हरम में प्रवेश का विवरण उपस्थित है। रूखसाना और हरम का जीवन्त चित्रण पाठकों को उस समय के ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य की झलक देता है, जहां अदृश्य बन्धनों में कैद, सत्ता और प्रेम की आकांक्षा में उलझती महिलाएं हैं।
पुस्तक के अध्याय ‘फालिंग इन लव’ में लेखक ने सलीम और नादिरा के बीच प्रेम की पहली झलक को अद्भुत तरीके से प्रस्तुत किया है। सलीम का अपने राजदार महाबत की सहायता से नादिरा की जानकारी प्राप्त करना, नादिरा का राजकुमार सलीम के पत्र को पढ़ना, जब वह खुद को एक खूबसूरत और क्षणिक प्रेम की स्थिति में पाती है। सभी कुछ एक महत्वपूर्ण मोड़ हैं, जो कहानी को आगे बढाते हैं।
लेखक सुमन्त बत्रा की स्पष्ट-सहज लेखनी, शिल्प कौशल, जटिल-पेचीदा पात्रों और घटनाओं को सुगमता से कह जाने की कला इस उपन्यास Anarkali को धाराप्रवाह बनाते हैं। वास्तव में यह आख्यान चाहे सच हो या कल्पना, अनारकली की कथा इतिहास के भव्य महल में एक छिपी हुई दीवार की तरह है, जो समय की मिट्टी में दबी हुई और हर बार जब कोई उसकी खोज करता है, वह नए रूप में उजागर होती है।
उपन्यास ‘‘Anarkali’-सुमन्त बत्रा
Dastaan-E-Mohabbat Salim Anarkali
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