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Digital Rupee (ई-रूपया)
भारतीय रिजर्व बैंक ने सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) अर्थात Digital Rupee को लांच किया। ई-रुपया पारम्परिक मुद्रा का ही एक डिजिटल संस्करण है। यह आरबीआइ द्वारा जारी किये गए नियमित नोटों की तरह ही होता है, लेकिन इसका स्वरूप इलेक्ट्रानिक है।
इसकी वैल्यू भी मौजूदा रुपये या सिक्कों के बराबर ही है। इसे कैश की तरह दो हजार, पांच सौ, दौ सौ, और सौ, पचास रुपये और बाकी मूल्यवर्ग में जारी किया जाता है। Digital Rupee बिना इंटरनेट कनेक्टिविटी में भी काम करेगा। ई-रुपया डिजिटल टोकन आधारित है। इसे सिर्फ केन्द्रीय बैंक ही जारी कर सकता है।
पेपर नोट के भुगतान के मामले में जो नियम लागू होते हैं, वही नियम डिजिटल रुपये के भुगतान में लागू होते हैं। जैसे की एक निश्चित सीमा के बाद Digital Rupee के भुगतान पर भी पैन कार्ड देना होगा और पेपर नोट की तरह एक सीमा तक ही इससे भुगतान किया जा सकेगा।
इस Digital Rupee की प्रमुख खासियत यह है कि इसकी जानकारी सार्वजनिक नहीं होगी। जैसे की पेपर नोट का आपस में लेनदेन करते हैं तो तीसरे व्यक्ति को यह पता नहीं चलता है कि किसे रुपये दिए गए हैं क्योकि यह सूचना बैंक के पास भी नहीं है। ऐसे ही Digital Rupee में होगा। पेपर नोट के लिए ग्राहकों बैंक जाना पड़ता है, नोट बैंक से लेते हैं और अपन पर्स में रखकर चले जाते हैं। ठीक वैसे ही डिजिटल करेंसी में होता है ।
वालेट में रहेगा डिजिटल रुपया- डिजिटल रुपये को सिर्फ बैंक द्वारा जारी किये गये वालेट में ही रखा जा सकता है, परन्तु इस पूरा नियन्त्रण आरबीआइ के पास रहता है।
इसके जरिये पर्सन टू पर्सन और पर्सन टू मर्चेंट लेनदेन करते हैं। अर्थात किसी व्यक्ति या दुकानदार को आसानी से पैसे भेज सकते है। इसमें लेन-देन क्यूआर कोड के माध्यम से होता है।
टू-टियर माडल पर आधारित- Digital Rupee का वितरण टू-टियर माडल पर आधारित है। इसे इश्यू और रिडिम करने का काम आरबीआइ करता है, जबकि डिस्ट्रीब्यूशन और पेमेंट से जुडी सेवाओं की जिम्मेदारी बैंकों पर रहती है। यह माडल फिजिकल करेंसी की तरह ही काम करता है। पहले चरण में चार बैंक कुछ चुनिन्दा ग्राहकों और मर्चेंट्स को डिजिटल करेंसी एप के लिए फोन पर मैसेज या ईमेल भेजकर इनवाइट किया गया था।
इसके लिए Digital Rupee एप को डाउनलोड करना होगा। इसके बाद सत्यापन की प्रक्रिया को पूरा करना होगा। इसके लिए बैंक में रजिस्टर्ड फोन नम्बर की जरूरत होती है। इस तरह ग्राहक ई-वालेट अकाउंट पूरा कर पाते हैं। फिर अपना ई-वालेट बैंक से कनेक्ट करना होता है। इसके लिए डेबिट कार्ड की जरूरत होती है। यह प्रक्रिया यूपीआई अकाउंट सेटअप जैसी ही है।
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बैंक से जुड़ने के बाद अकाउंट से डिजिटल रुपी एप के ई-वालेट में रुपये ट्रांसफर कर पाते हैं।। अब उपभोक्ता एप के उस यूजर या मर्चेंट को रुपये भेज पाते हैं।
यूपीआइ से कैसी है अलग Digital Rupee ?
यूपीआइ लेनदेन में दो बैंक अकाउंट में एंट्री होती है, जबकि डिजिटल रुपये की एंट्री वाणिज्यिक बैंक के अकाउंट में नहीं की जाती है। इसका रिकार्ड आरबीआइ द्वारा रखा जाता है। यह ब्लाकचेन तकनीक पर आधारित है, जिससे आपका ब्योरा अधिक सुरक्षित रहता है।
केडिट कार्ड, इंटरनेट बैंकिग या यूपीआइ जमा या क्रेडिट की सुविधा देने में रिजर्व बैंक की कोई गारंटी नहीं होती है, जबकि डिजिटल करेंसी में पूरा दायित्व रिजर्व बैंक का होता है।
डिजिटल रुपया यूपीआइ से भिन्न है, क्योंकि यूपीआइ से होने वाला भुगतान बैंक के माध्यम से होते हैं जबकि डिजिटल करेंसी या रुपये का भुगतान एक वालेट से दूसरे वालेट में होता है और इसमें किसी तीसरे की कोई भूमिका नहीं होती है। यूपीआइ के माध्यम से लेनदेन में बैंक इंटरमीडिएरीज का काम करता है।
सन्दर्भ- दैनिक जागरण