The Hindus of Hindustan

भारतीय सन्दर्भों से इतिहास देखने का सौजन्य-The Hindus of Hindustan:A Civilizational journey

अथर्ववेद का दुनिया का प्राचीनतम गीत माने जाने वाला पृथ्वी सूक्त धरती को मानवता की मां और प्राचीन भारतीय सामाजिक जीवन, सभ्यता एंव संस्कृति में भूमि की दीर्घकालिक महत्ता को सन्दर्भित करता है। इस पर पृथ्वी पर भारतीय सभ्यता का सफर हजारों वर्ष पहले उपमहाद्वीप के भू-मानचित्रण एंव विविध समुदायों और धर्मों के स्थायी समावेशन के साथ शुरू हुआ है।

यह प्रक्रिया हमारे प्राचीन ग्रन्थों में मुखर रूप से नजर आती है, जहां सम्पूर्ण मानवता के लिए शान्ति और समृद्धि की संकल्पना मिलती है। हमारे देश भारत के लिए प्रचलित हिन्दुस्तान शब्द, सिन्धु नदी के पार की भूमि के लिए एक फारसी ऐतिहासिक और भौगोलिक शब्द है, जो भारत उपमहाद्वीप का पर्याय है।

सहस्त्राब्दियों तक अपरिवर्तित रहीं हिन्दुस्तान के हिन्दुओं की विचारधाराओं में अन्तनिर्हित विशेषताओं को रेखांकित करने के साथ भारतीय सभ्यता के गौरवशाली इतिहास, समृद्ध धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत से खुद को अवगत कराना वर्तमान समय के लिहाज से विमर्शमूलक बन पड़ा है।

Meenakshi Jain And The Hindus of Hindustan:A Civilizational journey’

इतिहासकार Meenakshi Jain की पुस्तक ‘The Hindus of Hindustan:A Civilizational journey’ अपने गहरे शोध और चिन्तन के माध्यम से भारतीय सभ्यता के अनगिनत रंगों, मूल तत्वों और विविधपूर्ण पहलुओं के साथ भातीय इतिहास की गहराई में झांकते हुए हमारे समक्ष बहुआयामी दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है। यह भारत में ऐतिहासिक, अध्यात्मिक, धार्मिक और सांस्कृतिक निरन्तरता, अनुकूलशीलता और लचीलेपन को स्थापित करने वाले तत्वों को अविश्वसनीय दस्तावेजों और अचूक उद्धरणों से प्रमाणित करती है।

इतिहासकार Meenakshi Jain ने इस पुस्तक The Hindus of Hindustan को बड़ी खूबसूरती से दो अध्यायों में विभक्त किया गया हैं। दोनों अध्यायों के विषय बहुत ही सरल भाषा में लिखे गये हैं, जिसे आत्मसात करते हुए हम प्राचीन काल की कल्पना करने में सक्षम होते हैं। पुस्तक The Hindus of Hindustan के प्रथम भाग में उपमहाद्वीपीय के भूभाग के मानचित्रण का एक संक्षिप्त सर्वेक्षण, प्राचीन भारत के गठन की पड़ताल और इसके विकास की प्रक्रिया बहुत ही सरल भाषा में समझाया गया है।

भारतीय सभ्यता के उत्थान में सांस्कृतिक और धार्मिक परम्पराओं के महत्व की चर्चा यहां उल्लेखनीय ढंग से उभरती है। इस पुस्तक The Hindus of Hindustan में उत्तरपुरापाषाण काल से लेकर सिन्धु सभ्यता तक विभिन्न युगों के महत्वपूर्ण अवशेष शामिल हैं।

‘आर्यावर्त की धारणा’, सात नदियों की भूमिके पार की गतिविधि, मन्दिर, और सभी की भागीदारी, प्रथम सभ्यता और उसकी निरन्तरताएं, हूणों का आगमन, जैसे अनेक पाठ इतिहास का शानदार अवलोकन हैं। कौटिल्य (चाणक्य) ने अर्थशास्त्र में राजनीतिक एकीकरण के आदर्श को स्पष्ट करते हुए लिखा था कि हिमालय से लेकर समुद्र तक भूमि का एक ही शासक होना चाहिए ।

अथर्ववेद से सबन्धित धर्म शास्त्र के प्रतिष्ठित लेखक पैथिनासी ने कहा कि धर्म हिमालय से कन्याकुमारी तक चार पैरों पर खड़ा था। महाकाव्यों ने सुदूर स्थानों और वहां के लोगों को अपने ताने-बाने में समाहित कर लिया था।

हड़प्पा शहरों के वैदिक चरित्र के लिए अब ढेर सारे भौतिक साक्ष्य उपलब्ध हैं, जिन्हें लेखिका कई दृश्य चित्रणों के साथ जीवन्त बनाती हैं। इस प्रकार, अग्नि वेदियां न केवल वैदिक रचना के क्षेत्र में बल्कि दक्षिण में तटीय गुजरात के लोथल तक भी पाई गई हैं। वैदिक और हड़प्पा एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। लेखिका Meenakshi Jain, हड़प्पा और मौर्यकालीन वनस्पतियों, पेड़ो और स्तम्भों की पूजा और मोहनजोदाड़ों के पुरोहित-शासको, महावीर और बुद्ध की प्रतिमा के बीच निरन्तरता की ओर ध्यान आकर्षित करती हैं।

इस पुस्तक The Hindus of Hindustan का दूसरा अध्याय इस्लामी आक्रमण के परिणामस्वरूप हुई भारतीय इतिहास में हुयी व्याप्तियों का विवरण बड़े सलीके ओर तर्कपूर्ण ढंग से प्रस्तुत किया गया है, जो अक्सर विवादस्पद ऐतिहासिक मुद्दे पर एक नया दृष्टिकोण प्रदान करता है। इस्लाम का आगमन, महमूद गजनवी, मुहम्मद गौरी, मुस्लिक आक्रमणकारियों का शिलालेखों में दर्ज प्रतिरोध, जैसे पाठ इस खण्ड को पठनीय बनाते हैं। आठवी शताब्दी ई0पू0 में इस्लाम के आगमन के साथ चीजों में नाटकीय रूप से नया मोड़ आया।

कुछ अध्यायों में भारतीय इतिहास के उस चरण और उसके बाद हुए महत्वपूर्ण परिवर्तनों पर चर्चा की गयी है। भारतीय सभ्यता की सीमांए जो कभी काबुल घाटी और उससे आगे तक फैली हुयी थी, पीछे हटने लगीं। कई भारतीय शासकों ने अरब और तुर्की सेनाओं के साथ अपनी मुठभेड़ का दस्तावेजीकरण किया।

धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण में विचलन और मुल्तान से केरल तक मन्दिरों और तीर्थस्थलों के बड़े पैमाने पर विनाश का वर्णन कई मध्ययुगीन रचनाओं, मसलन-अलबरूनी के अल-हिन्द में भी किया गया है। लेखिका बताती हैं कि इस पुस्तक The Hindus of Hindustan के कई भाग विषयगत मुद्दों से सम्बन्धित हैं, इसलिए सम्पूर्ण कालानुक्रमिक ढांचे का पालन करना सम्भव नहीं था। लेखिका Meenakshi Jain के निष्कर्ष ढेर सारे सबूतों पर आधारित हैं।

यह पुस्तक The Hindus of Hindustan प्राचीन हिन्दू, जैन और बौद्ध ग्रन्थों पर आधारित दृष्टिकोण से ब्रिटिश-युग के इतिहास लेखन का प्रतिकार करती हुई इस विचारधारा को स्पष्ट रूप से खण्डन करती है कि ‘हिन्दू पहचान केवल ब्रिटिश उपनिवेशवाद की उपज थी’। लेखिका Meenakshi Jain वैचारिक रूख के विपरीत वास्तविक इतिहास लिखते हुए भविष्य के इतिहासकारों के लिए एक रास्ता बनाती हैं। निष्पक्ष इतिहास, वास्तविक तथ्यों और दस्तावेजों पर आधारित विभिन्न आयामों से अतीत के अद्भुत अज्ञात तथ्यों को पढ़ना रोमांचकारी है।

लेखिका की इस्लामी और हिन्दू सभ्यताओं के बीच आपसी असंगति की खोज दिलचस्प और व्यावहारिक, दोनों हैं। एक ऐसा बहुआयामी दृष्टि से सुसंगठित ग्रंथ, जो एक मानीखेज इतिहास के पाठ में तब्दील होता है।

स्त्रोत
1. पुस्तक  ‘The Hindus of Hindustan:A Civilizational journey’ के पन्नों से (online अमाजॉन से खरीदने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें)
2. दैनिक जागरण

ट्रक दे इण्डिया

By admin

One thought on “The Hindus of Hindustan”
  1. […] पत्रों के आलोक में आलोचना के शिखर पुरूष नामवर सिंह के दृष्टिकोण, विचार, निजी जीवन और उनकी व्यक्तिगत बातचीत में हिन्दी साहित्य जगत के परिदृश्य को समझने के लिए एक ऐसी पठनीय और संग्रहणीय पुस्तक, जिसे पढ़ते हुए आप अतीत की उन गलियों में लौट जाते हैं, जहां स्वजन का प्रेम आपको भीतर तक आकंठ डूबने का निमन्त्रण देता है। एक ऐसी स्नेहिल पुकार के साथ, जहां आप किसी निजी सम्बोधन से घर-परिवार में बसते रहे हैं। स्त्रोतः- 1. पुस्तक Tumhara Nanoo के पन्नों से (ऑनलाइन अमाजॉन से खरीदने के इस लिंक पर क्लिक करें) 2. दैनिक जागरण इन्टरलन स्त्रोतः-द हिन्दूस ऑफ हिन्दुस्तान […]

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