Sangam Age (संगम युग)
Sangam Age दक्षिण भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण काल है। संगम तमिल कवियों का एक संघ अथवा सम्मेलन था जो सम्भवतः राजा के आश्रय में समय-समय पर आयोजित होता था।
- यह स्पष्ट नहीं है कि ये Sangam Age कितने समय के अन्तराल में आयोजित होते थे तथा इनकी कुल संख्या कितनी थी किन्तु संगम में सम्मिलित होने वाले कवियों की अनेक महत्वपूर्ण रचनाएॅ उपलब्ध हैं।
- संगम, संस्कृत शब्द संघ का तमिल रूप है जिसका अर्थ लोगों का समूह या संघ है।
- इस प्रकार तमिल कवियों के संगम पर आधारित प्राचीनतम तमिल साहित्य संगम साहित्य कहलाता है और वह युग जिसके विषय में इस साहित्य द्वारा जानकारी उपलब्ध होती है, Sangam Age कहलाता है।
- प्राचीन दक्षिण भारत में आयोजित तीन संगम थे, जिन्हें लोकप्रिय रूप से मुच्चंगम (Muchchangam) कहा जाता था। इन संगमों का विकास मदुरई के पांडय राजाओं के शाही संरक्षण के तहत हुआ।
- प्रथम संगम, मदुरा (मदुरै) में ऋषि अगस्त्य की अध्यक्षता में सम्मपन्न हुआ। जिसमें महान संतों ने भाग लिया था, लेकिन इस संगम का कोई साहित्यिक कार्य उपलब्ध नहीं है। दक्षिण में आर्य सभ्यता के तत्वों के प्रसार ऋषि अगस्त्य और कौडिन्य ने किया था।
- दूसरा संगम कपाटपुरम् (Kapatapuram) में तोल्लकाप्पियर की अध्यक्षता में आयोजित किया गया था, इस संगम का एकमात्र तमिल व्याकरण एवं अलंकार शास्त्र ग्रंथ तालकाप्पियम् (Tolkappiyam) ही उपलब्ध है।
- तीसरा संगम उत्तरी मदुरै में नक्कीरर की अध्यक्षता में आयोजित हुआ था तथा इस संगम की संस्थापना मुदतिरूमारन ने की थी। इसमें बड़ी संख्या में कवियों ने भाग लिया था जिन्होंने कई साहित्य रचे, हालांकि इस संगम के अधिकांश ग्रथ नष्ट हो गए थे। यह ईसाई युग से जुड़े लोगों की जीवनशैली की जानकारी प्रदान करता है।
- यह साहित्य सामाजिक और सार्वजनिक क्रियाकलापों से जुडी धर्मनिरपेक्ष मामलों जैसे प्रशासनिक कार्य, व्यापार, उपासना, कृषि आदि से सम्बन्धित महत्वपूर्ण जानकारियां प्रदान करते हैं।
- तिरूक्काम्पलियर चेर, पाण्डय, चोल तीनों राज्य का संगम स्थल था।
- पाण्डयों के संरक्षण में सम्पन्न Sangam Age में सर्वाधिक प्राचीन वंश चेर का सबसे अधिक उल्लेख मिलता है।
- भौगोलिक के आधार पर तमिल का विभाजन
- कुरिंज– पार्वत्य प्रदेश से सम्बन्धित
- नीथल– समुद्र तट
- मरूदम– कृषि भूमि
- मुलै– अरण्य भूमि
- पलै– निर्जल स्थल (सूखी भूमि)
- विषयवस्तु की दृष्टिगत संगम काव्य को दो भागांे में विभक्त किया जा सकता है-
- अहूम-इसका सम्बन्ध प्रेम से है।
- पुरम-यह युद्ध से सम्बन्धित है।
- संगम कालीन प्रमुख साहित्य का विवरण निम्नलिखित है-
- संगम साहित्य रचनाकार
- तोल्कापियम तोलकाप्पियर
- शिलप्पदिकारम् इलंगोआदिगल
- मणिमेखलै सीतलै सत्तनर
- जीवकचिन्तामणि तिरून्तक्कदेवर
- कुरल तिरूवल्लुवर
- पट्टूपट्टू दस गीतो का संग्रह
- परित्रप्पतु चेर शासकों के शौर्य का विवरण
- एत्तुतोगाई आठ गीतों का संग्र्ह
- अहनानूरू रूद्रसर्मन
- मरूगर्रूपपादय नक्कीरर
Do you Know ? कीलादी