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मंकीपॉक्स (Monkeypox)
यह रोग Monkeypox वायरस के कारण होता है जो पोक्सविरिडे (Poxviride) परिवार के ऑर्थोपॉक्सवायरस (Orthopovirus) जीनस से सम्बन्धित है जोकि चेचक या चिकनपॉक्स के समान दिखायी देती है। इसमें वैरियाला वायरस भी है। यह वायरस के कारण स्मॉल पॉक्स अर्थात छोटी चेचक होती है।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार मंकीपॉक्स के दो अलग-अलग क्लैड (समूह) की पहचान की गई-वेस्ट अफ्रीकन क्लैड और कांगों बेसिन क्लैड (सेंट्रल अफ्रीकन क्लैड के रूप् में भी जाना जाता है)।
- Monkeypox पशुजन्य रोग (Zoonotic Diseases) है अर्थात यह बीमारी जो संक्रमित जानवरों से मनुष्यों में फैलती है लेकिन इसका मानव से मानव संक्रमण सीमित है।
- प्रथमवार इस वायरस की पहचान 1958 में बन्दरों में की गयी थी। इसीलिए इसे Monkeypox नाम दिया गया है। यह कोई नया वायरस नहीं है।
- 1970 में कांगों में सर्वप्रथम मानव संक्रमण का मामला प्रकाश में आया था जब इसके कारण एक बच्चे को संक्रमित पाया गया था।
संक्रमण
यह किसी जानवर के काटने या खरोंच, शरीर के तरल पदार्थ, दूषित वस्तुओं या किसी संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क से फेल सकता है। Monkeypox में चेचक के समान के लक्षण होते हैं, हालाकि यह कम गम्भीर होते हैं। रोग के लक्षण आमतौर पर दो से चार सप्ताह तक दिखते है, जो अपने आप दूर होते चले जाते हैं। लेकिन कुछ मामलों में यह गम्भीर भी हो सकता है।
Monkeypox पर द लैंसेट में प्रकाशित एक नए अध्ययन के अनुसार कुद एंटीवायरल दवाओं में लक्षणों का कम करने की क्षमता हो सकती है।
Monkeypox के लक्षण
बुखार, सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द, पीठ दर्द, सूजी हुई लसीका गं्रन्थिया, ठण्ड लगना, थकावट, त्वचा का फअना, शरीर में रेशैज, गला खराब होना, बार-बार खांसी आना, सुस्ती आना आदि इस बीमारी के लक्षण है। इसके बाद एक चकत्ता होता है जिसके ऊपर फुोले और पपड़ी बनती है। इस बीमारी के लक्षणों का पता 10 दिनों बाद चलता है।
पशु जन्य रोग
जूनोटिक रोगों को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने उन बीमारियों और संक्रमणों के रूप् में परिभाषित किया है जोकि स्वाभाविक रूप से कशेरूकी जानवरों और मनुष्य के बीच फेलते हैं तथा संक्रमण जो कशेरूकी और मनुष्य की बीच साझा किए जाते हैं।
अन्तराष्ट्रीय पशुधन अनुसंधान और संयुक्त राष्ट्र कार्यक्रम द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार मनुष्यों में लगाभग 60 प्रतिशत संक्रामक रोग और सभी उभरती संक्रामक बीमारियों में से 75 प्रतिशत जूनोटिक या पशुजन्य होती है।
भारत में पशुजन्य रोग
पशु जन्य रोग वैश्विक स्तर पर बढ़ रहें हैं। भारत में रेबीज, ब्रूसीलोसिस, जापानी एन्सेफलाइटिस, प्लेग, टॉक्सोप्लज्मोसिस, इचिनोकोसिस, स्क्रब टाइफस, निपा आदि पशुजन्य प्रमुख हैं जो भारत में स्वास्थ्य प्रणाली के लिये चुनौती है। जापानी एन्सेफलाइटिस बिहार और उत्तर प्रदेश के कई जिलों में हर वर्ष फेलता है।
चर्चा में
हाल ही में Monkeypox के यूनाइटेड किंगडम, पुर्तगाल और स्पेन सहित 19 देशों से कई मामले सामने आये हैं। मंकीपॉक्स के वैश्विक स्तर पर सामने आ रहे मामलों ने विश्व स्वास्थ्य सगठन की चिन्तायं बढ़ा दी हैं।
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