भारतीय समाचार पत्रों का इतिहास

  • जेम्स ऑगस्टस हिक्की द्वारा 1780 में प्रकाशित “The Bengal Gazette” भारत का प्रथम अखबार माना जाता है।
  • भारत में राष्ट्रीय प्रेस की स्थापन का श्रेय राजा राममोहन राय को दिया गया है। इन्होने संवाद कौमुदी (1821), मिरात-उल अखबर(1822 फारसी) का प्रकाशन कर भारत में प्रगतिशील राष्ट्रीय प्रवृत्ति के समाचार पत्रों का शुभारम्भ किया।
  • प्रख्यात समााज सुधारक राष्ट्रवादी ईश्वरचंद विघासागर ने 1859 में बंगाली भाषा में शोम प्रकाश का प्रकार्शन किया।
  • शोम प्रकाश एक मात्र समाचार पत्र था जिसके विरूद्व लिटन का “वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट” लागू हुआ था। राष्ट्रवादी दृष्टिकोण वाले इस समाचार पत्र का पत्रकारिता के क्षे़त्र में ऊँचा स्थान था।
  • लिटन के वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट से बचने के लिए यह अमृत बाजार समाचार पत्र अंग्रजी साप्ताहिक में परिवर्तित हो गया।
  • हिन्दू पैटियाट के संपादक पत्रकारिता के राजकुमार क्रिस्टो दास पाल थे।
  • बम्बई से बाल गंगाधर तिलक द्वारा अंग्रेजी में मराठा और मराठी में केसरी का प्रकाशन किया गया। प्रारम्भ में केसरी के संपादक आगरकर तथा मराठा का संपादन केलकर ने किया।
  • 1826 में कानपुर से जुगलकिशोर द्वारा हिन्दी में प्रकाशित उदण्ड मार्तण्ड भारत का पहला हिन्दी का समाचार पत्र है।

प्रेस के विरूद्व लगाये गये प्रतिबंध

  • 1799 में लार्ड वेलेजली ने प्रेस नियंत्रण अधिनियम द्वारा सभी समाचार पत्रों पर नियंत्रणा लगाते हुए, संपादक, मुद्रक तथा मालिक का नाम अखबार पर देना अनिवार्य कर दिया।
  • लार्ड हेस्टिंग्स ने 1818 में इस अधिनियम को समाप्त कर दिया।
  • अनुज्ञप्ति नियम द्वारा राजा राममोहन राय का मिरातुल अखबार प्रतिबंधित कर दिया गय था।
  • बेटिक के बाद बने कार्यवाहक अघ्यक्ष चार्ल्स मेटकॉफ को समाचार पत्रों का मुक्तिदाता कहा जाता है।
  • समाचार पत्रों को प्रतिबंधित करने के लिए बनाये गये अधिनियमों में 1878 का वर्नाक्युलर प्रेस एक्ट सबसे अधिक खतरनाक था।
  • एक्ट द्वारा जिला मजिस्ट्रेट को यह अधिकार मिला था कि वह किसी भी भारतीय भाषा के समाचार पत्र से पर हस्ताक्षर करवा ले कि वह कोई भी ऐसी सामग्री नहीं छापेगा जो सरकार विरोधी हो।
  • वायसराय कर्जन द्वारा 1908 में न्यूज पेपर एक्ट पारित किया गया, जिनके द्वारा उन मुद्रणालयों तथा उनकी सम्पत्ति को जब्त करने की व्यवस्था थी जिनके द्वारा प्रकाशित समाचारपत्रों से हिंसा अथवा हत्या को बढ़ावा मिलता था।

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