तर्णेतर ने रे अमे मेड़े ग्याता–नीलम कुलश्रेष्ठ, वनिका प्रकाशन, बीकानेर।
गुजरात सदैव चर्चा के केन्द्र में रहा है। नीलम आगरा की होकर भी पूर्णतः गुजराती हैं। वहां के जीवन समाज को जी रही हैं। देख रही हैं। अधिकांश कहानियां लम्बे अनुसंधान पर आधारित हैं। कहानी के अधिकांश किरदार के नाम भी यथार्थ हैं। जिन्हें स्वस्फूर्त के तौर पर लिखा गया है। संग्रह में कुल 12 कहानियां हैं। सभी के विषय में वैविध्य है। बारिश का पानी और टूटते डेम से जीवन से हाथ धो बैठने वालों की कसक व राजनीतिक, ब्यूरोक्रेसी की नौकरशाही प्रवृत्तियों की गहन पड़ताल रचनाओं में छिपी हुई है। स्त्री-पुरूष के बीच बने अनैतिक सम्बन्धों के मध्य कानूनी जकड़बन्दी कटाक्ष व तीक्ष्ण बेधक सहज रूप में दिखेगा।
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