Chintamani Padya Natakam

Chintamani Padya Natakam

Chintamani Padya Natakam 1920 में नाटककार कल्लाकुरी नारायण राव द्वारा लिखा गया था, जो एक समाज सुधारक थे।

  • नारायण राव ने देवदासी प्रथा पर जागरूकता पैदा करने के लिए तथा उस विशेष अवधि में देह व्यापार कैसे कई परिवारों को बर्बाद कर रहा थ, यह दर्शाने के लिए चिंतामणि नाटकम लिखा गया था।
  • नाटक का नाम मुख्य पात्र, चिंतामणि के नाम पर रखा गया है, जो देह व्यापार में शामिल परिवार में पैदा हुई महिला है। वह भगवान कृष्ण की परमभक्त है।
  • नाटक में आर्य वैश्य समुदाय के एक व्यवसायी के रूप् में सुब्बी शेट्टी नामक चरित्र भी है, जो चिंतामणि के प्रति आर्कषण के कारण अपनी सम्पत्ति और परिवार को खो देता है। सुब्बिसेटी, बिल्वमंगलुडु, भवानी शंकरम और श्रीहरि इस नाटक के अन्य पात्र हैं।
  • मूल नाटक में एक सामाजिक सन्देश था, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में, विशुद्ध रूप से मनोरंजन के लिए परिवर्तित किया गया है।
  • यह नाटक पूरे राज्य मेंए मुख्यतः ग्रामीण क्षेत्रों में, त्योहारों और मेलों के दौरान प्रदर्शित किया जाता है।

चर्चा में

  • आन्ध्र प्रदेश सरकार ने हाल ही में समाज सुधारक, लेखक और कवि कल्लाकुरी नारायण राव द्वारा लिखे गए एक मंच नाटक Chintamani Padya Natakam के मंचन पर प्रतिबन्ध लगाने के आदेश जारी किए गए है। इस नाटक के एक निश्चित चरित्र तथा कई संवादों पर आर्य वैश्य नामक एक सामाजिक समुदाय के कुछ सदस्यों द्वारा उठाई गई आपत्तियों को देखते हुए यह प्रतिबन्ध लगाया गया है।

आर्य वैश्य समुदाय Chintamani Padya Natakam क्यों विरोध कर रहा है ?

  • नाटक के अधिकांश भाग में केन्द्रिय चरित्र सुब्बी शेट्टी का मजाक उड़ाया जाता है, विशेष रूप् से अपने दोषों के कारण अपनी सारी दौलत को खोने के लिए। आर्य वैश्य समुदाय के नेताओं का कहना है कि इस नाटक के सामग्री और संवाद आपत्तिजनक है, और चरित्र के माध्यम से उनका उपहास उड़ाया जाता है।
  • पिछले दशकों में नाटक में कई बदलाव हुए हैं, और इसे और अधिक मनोरंजन और मजेदार बनाने के लिए कई जगहों पर अभद्र और अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया जाता है, जिसके प्रति समुदाय ने नाराजगी व्यक्त की है।
  • इसके अलावा, नए नाटक की सामग्री और संवाद आपत्तिजनक हो चले हैं, और केंद्रीय चरित्र को हमेशा एक छोटे और काले रंग के व्यक्ति के रूप में चित्रित किया जाता है।
  • संशोधित नाटक में, शेट्टी के चरित्र को जिस तरह से चित्रित किया जाता है, उससे पूरा समुदाय कलंकित महसूस करता है।

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