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कालिका माता मन्दिर (Kalika Mata Temple)
चम्पानेर-पावागढ़ पुरातत्व पार्क (Champaner-Pavagadh Archaeological Park) के भीतर भारत के पंचमहल जिले में पावागढ़ पहाड़ी (Pavagarh Hill) के शिखर पर स्थित Kalika Mata Temple एक हिन्दू देवी मन्दिर है।
- यह मन्दिर महान पवित्र शक्ति पीठों में से एक है। शक्तिपीठ उन पूजा स्थलों को कहा जाता है जहां सती माँ के अंग गिरे थे। ऐसा माना जाता है कि यहां मॉ के दाहिने पैर की अंगुली गिरी थी।
- पावागढ़ की कालिका माता की पूजा यहां के आदिवासी लोग भी करते हैं। नगार शैली (Nagara Style) में कालिका माता मन्दिर का निर्माण शिखर के साथ किया गया है।
- Kalika Mata Temple 11वी शताब्दी का इस क्षेत्र का सबसे पुराना मन्दिर है, जिसमें एक दरगाह भी है, जो आस्थाओं के सामंज्य का एक उदाहरण है।
- इस मन्दिर में काली माता देवी की पूजा की जाती है। यहा दक्षिण मुखी काली माँ की मूर्ति है जहां तांत्रिक पूजा अर्थात दक्षिण रीति से पूजा की जाती है।
- यह मन्दिर चम्पानेर-पावागढ़ पुरातत्व पार्क का हिस्सा है, जिसे यूनेस्को का विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है।
- यहां किसी भी प्रकार की पशु बलि पर सख्त प्रतिबन्ध लगभग दो से तीन शताब्दियों से है।
- सुल्तान महमूद बेगड़ा ने 15वीं शताब्दी में चम्पानेर पर विजय प्राप्त की और इस मन्दिर के शिखर को नष्ट कर दिया था।
- सदानशाह पीर जिन्होंने महमूद बेगड़ा के दरबार का हिस्सा बनने के लिए इस्लाम धर्म को अपनाया, ने मन्दिर को नष्ट होने से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी।
चर्चा में
गुजरात के पंचमहल जिले में स्थित पावागढ़ पहाड़ी के ऊपर पुनर्विकसित Kalika Mata Temple का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 18 जून 2022 को किया। इस मन्दिर में पहली बार एक शिखर होगा, जहां पहले हजरत सदनशाह वाली पीर की एक दरगाह (Hazrat Sadanshah Wali Peer Dargah) विद्यमान थी, जिसे पुनर्विकास के दौरान एक सौहार्दपूर्ण समझौैते के तहत इसके बगल में एक स्थान पर स्थानान्तरित कर दिया गया है।
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