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ईस्ट इंडिया कम्पनी और बंगाल के नवाब
- बंगाल के प्रथम स्वतंत्र शासक मुर्शीदकुली खां तथा उसके उत्तराधिकारी शुजाउददीन औरअलीवर्दी खां के समय बंगाल इतना अधिक सम्पन्न हो गया कि इसे ‘भारत का स्वर्ग’ कहा जाने लगा।
- 1670 से 1700 के बीच बंगाल में ‘अनाधिकृत अंग्रेज व्यापारियों’ अथवा दस्तनदाजों का बोलबाला था, ये स्वतंत्र तथा ईस्ट इंडिया कम्पनी के नियंत्रण से मुक्त होकर व्यापार करते थे। इन व्यापारियों की गतिविधियों को कालांतर में अंग्रेज और मुगलों के बीच संघर्ष का कारण बनी।
- ब्ंगाल के नवाब सिराजुदौला से पूर्व अलीवर्दी खां हो एक मात्र बंगाल का नवाब था जिसने कंपनी (अंग्रेजी एवं फ्रेंच) को गतिविधियों को नियंत्रित करते हुए कलकत्ता और चंद्रनगर की किलेबंदी के सुदृढ़ीकरण का विरोध किया।
सिराज-उद्-दला (1756-57 ई0)
- कलकत्ता पर अधिकार (15 जून, 1756 ई0) करने हेेतु नवाब ने स्वयं आक्रमण का नेतृत्व किया। कलकत्ता से गवर्नर ड्रेक को ज्वारग्रस्त फुल्टा द्वीप में शरण लेनी पड़ी, मिस्टर हॉलवेल अपने कुछ सहयोगियों के साथ नवाब के समक्ष आत्म समर्पण कर दिया।
- 20 जून को फोर्ट विलियम के पतन के बाद सिराज ने बंदी बनाये गये 446 कैदियों को जिसमें स्त्री और बच्चे भी थे को एक घुटन युक्त अंधेरे कमरे में बंद कर दिया। 21 जून को प्रातः काल तक कमरे में केवल 21 व्यक्ति ही जीवित बचे जिनमें अंग्रेज अधिकरी हॉलवेल भी शामिल थे।
- अंग्रेज इतिहासकारों ने 20-21 जून की इस घटना को ‘काल कोठरी त्रासदी’ (Black Hole Tragedy) की संज्ञा दी।
- सिराज के विरूद्व सक्रिय दरबारी षड्यंत्रकारियों और अंग्रेजों के बीच अप्रैल-मई 1757 में कुछ गुप्त समझौते हुए, इस समझौते में महत्वपूर्ण भूमिका अमीचद्र और वाट्सन (कासिम बाजार का प्रमुख)
- मीरजाफर को सिराज के बाद आगला बंगाल का नवाब प्रस्तावित कर अंग्रेज प्लासी के युद्व की तैयारी में जुट गये।
प्लासी का युद्व (1757 ई0)
- प्लासी के युद्व में अंग्रेजी सेना ने (1100 यूरोपीय, 200 सिपाही तथा बंदूकची) क्लाइव के नेतृत्व में हिस्सा लिया। दूसरी ओर 4500 सैनिकों वाली नवाब की सेना नेतृत्व तीन राजद्रोही मीरजाफर, यारलतीफ खां और राय दुर्लभ ने किया।
- प्लासी के युद्ध की गणना भारत के निर्णायक युद्धों में की जाती है। वर्तमान में प्लासी नदिया जिले में गंगा नदी किनारे स्थित है।
- 23 जून, 1757 को मुर्शिदाबाद के दक्षिण में 22 मील की दूरी पर स्थित प्लासी नामक गांव में दोनों सेनायें आमने-सामने हुई। नवाब की सेना के वफादार सिपाही मीरमदान और मोहनलाल मैदान में लड़ता हुआ वीरगति को प्राप्त हुआ। सिराज की सेना के तीनों धोखेबाज सेनापति युद्व क्षेत्र में एक भी गोला दागे वगैर वापस हो लिये।
- 28 जून, 1757 को अंग्रेजों ने मीरजाफर को बंगाल का नवाब बना दिया।
युद्व का परिणाम
- प्लासी के युद्व के परिणाम में इतिहासकार यदुनाथ सरकार ने कहा कि “23 जून, 1757 को भारत में मध्यकालीन युग का अंत हो गया और आधुनिक युग शुभारम्भ हुआ। एक पीढ़ी से भी कम समय या प्लासी के युद्व के 20 वर्ष बाद ही देश धर्मतंत्री शासन के अभिशाप से मुक्त हो गया।“
- डॉ0 दीनानाथ वर्मा के शब्दों में “प्लासी का युद्व एक ऐसे विशाल और गहरे षड्यत्रं का प्रदर्शन था, जिसमें एक ओर कुटिल नीति निपुण बाघ था और दूसरी और भोला शिकार, युद्व में अदूरदर्शिता की हार हुई और कुटिलता की जीत। यदि इसका नाम युद्व है तो प्लासी का प्रदर्शन भी युद्व था। लेकिन सामान्य भाषा में जिसे युद्व कहते है वह प्लासी में कभी हुआ ही नहीं”
मीरजाफर (1757-1760)
- 30 जून, 1757 ई0 को क्लाइव ने मुर्शिदाबाद में मीरजाफर को बंगाल का नवाब बनाया गया।
- अंग्रेजी सरकार के खर्च में दिन प्रतिदिन हो रही बेतहासा वृद्वि औश्र न कर पाने के कारण मीरजाफर ने अक्टूबर, 1760 ई0 में मीरकासिम के पक्ष में सिंहासन त्याग दिया।
क्लाइव
- फरवरी, 1760 में क्लाइव ने कुछ महीने के लिए गवर्नर का दायित्व को सौंप कर इंग्लैंड वापस चला गया। हॉलवेल ने मीरजाफर को पदच्युत करने की योजना बनायी।
मीरकासिम (1760-1765)
- कंम्पनी तथा उसके अधिकारियों को भरपूर मात्रा में धन देकर मीरकासिम अंग्रेजों ने हस्तक्षेप से बचने के लिए शीघ्र ही अपनी राजधानी मुर्शिदाबाद से मुंगेर हस्तांतरित कर लिया।
बक्सर का युद्व (1764)
- बक्सर जो बनारस के पूर्व में स्थित है, के मैदान में अवध के नवाब, मुगल तथा मीरकासिम की संयुक्त सेना अक्टूबर, 1764 ई0 को पहुंची, और अंग्रेजी सेना हेक्टर मुनरो के नेतृत्व में पहुंची।
- मई, 1765 ई0 में क्लाइव दूसरी बार बंगाल का गवर्नर बनकर आया, आते हो उसने शाहआलम और शुजाउद्दौला से संधि की।
- 12, अगस्त, 1765 ई0 को क्लाइव ने मुगल बादशाह शाहआलम में इलाहबाद की प्रथम संधि की। जिसकी शर्ते इस प्रकार थीः-
1 मुगल बादशाह ने बंगाल, बिहार, उड़ीसा की दीवानी कंपनी को सौंप दी।
2 ईस्ट इंडिया कम्पनी ने अवध के नवाब से कड़ा और मानिकपुर छीनकर मुगल बादशाह को दे दिया।
3 एक फरमान द्वारा बादशाह शाहआलम ने नज्मुद्दौला को बंगाल का नवाब स्वीकार कर लिया।
बंगाल में द्वैध शासन
- द्वैध शासन को समझने से पहले दीवानी और निजामत को समझना आवश्यक है।
- मुगल काल में प्रांतीय प्रशासन में दो प्रकार के अधिकारी होते थे जिनमें सूबेदार जिसे निजामत भी कहा जाता था, का कार्य सैनिक प्रतिरक्षा, पुलिस और न्याय प्रशासक से जुडा था।
- दूसरा प्रांतीय स्तर पर श्रेष्ठ पद दीवान का था, जो राजस्व एंव वित्त व्यवस्था की देख-रेख करता था, ये दोनों अधिकारी एक दूसरे पर नजर रखते थे तथा मुगल बादशाह के प्रति उत्तरदायी होते थे।
- इलाहबाद को संधि के बाद अंग्रेजों को 26 लाख रूपये वार्षिक देने के बदले ‘दीवानी’ का अधिकार तथा 53 लाख रू0 बंगाल के नवाब को देने पर निजामत का अधिकार प्राप्त हुआ।
- दीवानी और निजात दोनों अधिकार प्राप्त कर लेने के बाद ही कंपनी ने बंगाल में द्वैध शासन की शुरूआत की।
- द्वैध शासन का जनक लियो कार्टिस को माना जाता है।
- द्वैध शासन जिसकी शुरूआत बंगाल में 1765 ई0 से माना जाता है, के अन्तर्गत कंपनी ने दीवानी और निजामत के कार्यो का निष्पादन भारतीय के माध्यम से करती थी, लेकिन वास्तविकता शक्ति कंपनी के पास होती थी।
- कंपनी और नवाब दोनों द्वारा प्रशासन की व्यवस्था को ही बंगाल में द्वैध शासन कहा गया, जिसकी विशेषता थी उत्तरदायित्व रहित अधिकार और अधिकार रहित उत्तरदायित्व।
- क्लाइव ने अवध के नवाब शुजाउद्दौला से 16 अगस्त, 1765 को इलाहबाद की द्वितीय संधि की। संधि की शर्ते कुछ इस प्रकार है:-
1 नवाब ने ईस्ट इंडिया कम्पनी की क्षतिपूर्ति के रूप में 50 लाख रूपया देने का वायदा किया।
2 अवध प्रांत से कड़ा और इलाहबाद के जिले लेकर मुगल बादशाह को दे दिये गये।
3 अंग्रेजों की संरक्षता में बनारस और गाजीपुर की जागीर राजा बलवंत सिंह को पैतृक जागीर के रूप में दे दी गई।
4 शुजाउद्दौला को अवध वापस मिल गया तथा उसने चुनार अंग्रेजों को सौंप दिया।
5 नवाब को एक और संधि द्वारा यह वचन देना पड़ा कि अपनी सीमाओं की सुरक्षा के लिए वह अंग्रेजों से सैनिक सहायता लेने पर पूरा सैन्य खर्च बहन करेगा।
- ब्ंगाल के नवाब के साथ संधि के बाद बंगाल में द्वैध शासन की शुरूआत हुई।
- अल्पायु नवाब ने मुहम्मद रजा खां को नायब सुबेदार नियुक्त किया।
- क्लाइव के समय में मुंगेर और इलाहबाद के श्वेत (अंग्रेज) सैनिकों ने भत्ता कम मिलने के कारण विद्रोह किया, जिसे श्वेत विद्रोह के नाम से जाना गया।
स्मरणीय तथ्य
- ब्ंगाल के नवाब सिराजुदौला के समय में 20-21 जून को 1756 को प्रसिद्व कालकोठरी या ब्लैक होल की घटना घटी।
- निर्णायक ‘प्लासी का युद्व’ 23 जून, 1757 को लड़ा गया, क्लाइव के नेतृत्व में लड़े गये इस युद्व ने निर्णय ने भारत अंग्रेज राज्य को स्थापना कर दी।
- प्लासी के युद्व के समय भारत का मुगल बादशाह आलमगीर द्वितीय था।
- मुर्शिदाबाद से मीरकासिम ने अपनी राजधानी मुंगेर हस्तांतरित किया।
- 22 अक्टूबर, 1746 में बक्सर के युद्व के समय बंगाल का नवाब सीरजाफर था।
- बक्सर का युद्व में अंग्रेजी सेना का नेतृत्व हेक्टर मुनरो ने किया।
- अंग्रेजों के विरूद्व बक्सर के यु़द्व में लड़ने वाली भारतीय सेनाओं में शामिल थे मुगल बादशाह शाह आलम, अवध के नवाब शुजाउद्दौला तथा मीरकासिम थे।
- इलाहबाद की प्रथम संधि (1765) क्लाइव और मुगल बादशाह के बीच हुई।
- इलाहबाद की द्वितीय संधि (1765) क्लाइव और अवध के नवाब के बीच सम्पन्न हुई।
- द्वैध शासन का जनक लियोनिस कार्टिस को माना जाता है। बंगाल में शासन की शुरूआत 1765 ई0 में हुई जो 1772 तक प्रचलन में रही।
- बंगाल का अंतिम नवाब मुबारक उद्दौला (1770-75) था।
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